मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
![विश्व स्तरीय समुद्री जीवाश्म भारत की पूंजी है - लक्ष्मी नारायण विश्व स्तरीय समुद्री जीवाश्म भारत की पूंजी है - लक्ष्मी नारायण](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1717772078-1.jpg)
विश्व पर्यावरण दिवस पर फासिल्स पार्क में संगोष्ठी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता,
मनेन्द्रगढ़, 7 जून। हसदो नदी के तट पर पाया जाने वाला विश्व स्तरीय समुद्री जीवाश्म भारत की ऐसी पूंजी है जिसे आने वाली पीढिय़ों को इसी स्वरूप में हमें सौंपना है। 29 करोड़ वर्ष पुराना यह जीवाश्म स्टीथ सागर के मनेंद्रगढ़ तक जुड़े रहने की और पृथ्वी पर जीवन उत्पत्ति के अंजान पन्नों का वह दस्तावेज है जिसे संरक्षित और विकसित करने की हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है।
उक्त बातें संबोधन संस्थान एवं वनमाली सृजन केंद्र मनेन्द्रगढ़ द्वारा फासिल्स पार्क में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान उप वनमंडल अधिकारी लक्ष्मी नारायण ठाकुर ने कही। अतिथियों की उपस्थिति में वन माली सर्जन केंद्र कोरिया के संयोजक वीरेंद्र श्रीवास्तव ने विश्व पर्यावरण दिवस पर फासिल्स पार्क मनेन्द्रगढ़ में आयोजन की भूमिका प्रस्तुत करते हुए संगोष्ठी प्रारंभ किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईएफएस नीरज ने आयोजन की सराहना की तथा फासिल्स पार्क को और विकसित करने के लिए नागरिकों से सुझाव आमंत्रित किए। जिला पंचायत कोरिया के प्रतिनिधि वरिष्ठ साहित्यकार रूद्र नारायण मिश्र ने कहा कि पेड़ों की पूजा आज हमारी स्वस्थ संस्कृति की पहचान बन चुकी है। बैकुंठपुर के पुरातत्व विशेषज्ञ वाल्मीकि दुबे ने कहा कि कई राज्यों को बिजली देने वाले छत्तीसगढ़ कोरबा के पावर प्लांट की जीवन दायिनी हसदो नदी पर बने बांगो बांध को आज पूरा देश जानता है, लेकिन छत्तीसगढ़ की नदियों की पहचान में यह अदृश्य नजर आती है जो चिंता का विषय है। संबोधन संस्थान के अध्यक्ष अनिल जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब हम किसी छायादार पेड़ की छांव में बैठकर सुख का अनुभव करते हैं तब प्रकृति एवं पेड़ लगाने वालों को मन से धन्यवाद देते हैं। इसी आशीर्वाद को आप भी एक पेड़ लगाकर प्राप्त कर सकते हैं। नई पीढ़ी को पर्यावरण के विचारों से जोडऩे के लिए छात्रा श्रुति एवं फातिमा ने अपने विचारों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की सोच को आगे बढ़ाया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष नपाध्यक्ष प्रभा पटेल ने कहा कि मैरीन फॉसिल्स मनेंद्रगढ़ का गौरव है। उन्होंने संबोधन साहित्य एवं कला विकास संस्थान की टीम को बधाई देते हुए कहा कि लगातार कई वर्षों के प्रयास से अब इसके विकास को नई राह मिली है। इस अवसर पर डॉ. राजकुमार शर्मा, निरंजन मित्तल, नरेंद्र श्रीवास्तव, जयप्रकाश सिंह, परमेश्वर सिंह, पुष्कर तिवारी, गौरव अग्रवाल एवं रमेश गुप्ता आदि उपस्थित रहे।