मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
![डॉक्टर व्यवहारिक और सामाजिक दृष्टिकोण भी रखें- डॉ. चंदेल डॉक्टर व्यवहारिक और सामाजिक दृष्टिकोण भी रखें- डॉ. चंदेल](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/17197462259-2.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 30 जून। इस धरती पर भगवान के बाद डॉक्टर किसी मरीज के लिए फरिश्ता से कम नहीं होता है। नेशनल डॉक्टर्स डे उन सभी चिकित्सकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का विशेष दिवस है जो अपने सामाजिक सरोकार एवं परमार्थ के लिए समाज में विनम्रता, मरीजों के सहयोग एवं विशिष्ट सेवाभाव की वजह से अन्य चिकित्सकों से विशेष स्थान रखते हैं।
जिले के ग्राम घुटरा जैसे आदिवासी वनांचल में पदस्थ शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के प्रमुख डॉ. संदीप चंदेल का कहना है कि डॉक्टर जब समाजिक दृष्टिकोण अपनाते हुए व्यवहारिक रूप से मरीजों की सेवा करता है तो उसे आत्मिक सुख प्राप्त होता है। वे विगत तीन वर्षों से पतंजलि योग समिति के स्वास्थ्य योग शिविर में अब तक सैकड़ों मरीजों को नि:शुल्क परामर्श एवं चिकित्सा दे चुके हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके डॉ. संदीप चंदेल नि:सहाय और जरूरतमंद मरीजों के मददगार के रूप में अपनी कर्मभूमि में अलग पहचान बना चुके हैं। युवा चिकित्सक प्रिया विश्वकर्मा योग एवं प्राणायाम से शारीरिक अक्षमता को दूर करने की पक्षधर हैं।
प्रिया विश्वकर्मा महाराष्ट्र आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ नासिक के आयुर्वेद के डॉ. लक्ष्मीकांत शुक्ला के साथ वात, त्वचा, मूत्र और अन्य बीमारियों पर कार्य कर रही हैं।
देवांग आयुर्वेद संस्थान के संचालक डॉ. लक्ष्मीकांत शुक्ला आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान बताते हुए कहते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार केवल बीमारियों से मुक्ति का नाम स्वास्थ्य नहीं है, बल्कि यह शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की स्थिति है। वे कहते हैं कि चिकित्सक को सदा व्यवसायिक दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए, बल्कि गंभीर मरीजों को तत्काल उचित परामर्श एवं चिकित्सा देकर उसके जीवन की रक्षा करने का सर्वोपरि लक्ष्य होना चाहिए।
वहीं, मनेंद्रगढ़ जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेश तिवारी ने कहा कि डॉक्टरों को ईमानदारी पूर्वक कार्य करते हुए सदैव मरीजों के हित का ध्यान रखना चाहिए। संसाधन एवं पैसों के अभाव में किसी भी मरीज का इलाज नहीं रुकना चाहिए।
सीएमएचओ डॉ. तिवारी ने कहा कि डॉक्टर व मरीज का संबंध मधुर हो, इस पर ध्यान देने की जरूरत है।