मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
![गांव में स्कूल खोलने नौनिहालों ने लगाई गुहार गांव में स्कूल खोलने नौनिहालों ने लगाई गुहार](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/17195655278-1.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 28 जून। एमसीबी जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्र भरतपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कुदरा (प) में प्रायमरी स्कूल नहीं होने के कारण यहां के बच्चों को बुनियादी शिक्षा के लिए गांव से दूर रोजाना 15 से 20 किमी का सफर तय करना पड़ता है। बच्चों की परेशानियों को देखते हुए ग्रामीणों ने नए शिक्षण सत्र के पहले दिन जहां गांव में स्कूल खोले जाने की मांग की वहीं बच्चों ने भी जिम्मेदारों को जगाने के लिए हमारे गांव में स्कूल खोलो-स्कूल खोलो नारेबाजी कर प्रशासन को हरकत में ला दिया।
भरतपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कुदरा (प) जो पिछले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समय परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया है। गांव की आबादी 500 से अधिक है, लेकिन गांव में स्कूल नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बच्चों की संख्या करीब 60 के करीब है जिनमें से 20 बच्चे रोजाना गांव से 15 से 20 किमी दूर ब्लॉक मुख्यालय या फिर ग्राम च्यूल में जाकर पढ़ाई करते हैं। बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ ग्रामीणों को गांव छोडक़र जहां स्कूल है वहां किराए के मकान में रहना पड़ता है या फिर पढ़ाई के लिए उन्हें रिश्तदारों के घर छोडऩा पड़ता है।
इधर नए शिक्षण-सत्र के पहले दिन जब जिले भर के सभी सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में शाला प्रवेशोत्सव जोर-शोर से मनाया जा रहा था तब कुदरा गांव के बच्चों ने स्कूल के लिए आवाज बुलंद कर शासन-प्रशासन के कान खड़े कर दिए। बच्चों की मांग को प्रशासन ने गंभीरता से लिया और डीईओ के निर्देश पर वस्तुस्थिति का जायजा लेने भरतपुर बीईओ गांव पहुंचे। बीईओ सुदर्शन पैकरा का कहना है कि ग्राम कुदरा के बच्चों को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत समीप स्थित स्कूलों में प्रवेश दिया जाएगा साथ ही शासन की योजना का लाभ देते हुए अस्थाई शिक्षकों की व्यवस्था कर बच्चों को गांव में ही पढ़ाया जाएगा।
बीईओ ने कहा कि कुदरा गांव में स्कूल स्थापना हेतु पूर्व में प्रस्ताव भेजा गया था फिर से प्रस्ताव भेजा जा रहा है। बहरहाल बच्चों के लिए बुनियादी शिक्षा का महत्व कितना है यह बताने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसके लिए प्रशासन को बार-बार प्रस्ताव भेजना पड़े तब सिस्टम पर तरस आता है। ऐसे में देखना यह है कि गांव में शिक्षा के मंदिर के लिए अभी और कितना वक्त लगता है?