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सिकल सेल जागरूकता दिवस: रैली, नुक्कड़ नाटक व क्वीज स्पर्धा से किया जागरूक
19-Jun-2024 8:35 PM
सिकल सेल जागरूकता दिवस: रैली, नुक्कड़ नाटक व क्वीज स्पर्धा से किया जागरूक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर,19 जून।
विश्व सिकसेल जागरूकता दिवस  के अवसर पर बुधवार को अम्बिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल के मुख्य आतिथ्य में जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन जिला मुख्यालय अम्बिकापुर के माता राजमोहिनी देवी भवन में किया गया। कार्यक्रम में कलेक्टर विलास भोसकर, सीएमएचओ डॉ आर एन गुप्ता, आदिवासी विकास विभाग के उप संचालक डी.पी. नागेश, सिविल सर्जन डॉ जे.के.रेलवानी, सिकल सेल नोडल डॉ. श्रीकांत सिंह, एनसीडी नोडल डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता, डीपीएम डॉ पुष्पेन्द्र राम, जिला समन्वयक संगवारी कार्यक्रम श्री विश्वविजय, स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी, नर्सिंग के छात्र-छात्राएं तथा आमजन उपस्थित थे।

कार्यक्रम में विधायक श्री अग्रवाल ने सिकल सेल के बारे में बताते हुए कहा कि भारत में यह बीमारी जनजाति समूहों में अधिक व्याप्त है और प्रत्येक 86 बच्चों में से एक बच्चे में यह बीमारी पाई जाती है।  उन्होंने आमजनों से सिकलिंग जांच अवश्य कराने अपील की। उन्होंने कहा कि विवाह से पूर्व जांच अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने विकासखण्ड में प्रदाय सिकल सेल कार्ड का हितग्राहियों को शत-प्रतिशत वितरण कराये जाने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया।

इस अवसर पर कलेक्टर भोसकर ने बताया कि सिकल सेल अनुवांशिक बीमारी है। उन्होंने आमजनों से ज्यादा से ज्यादा अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्रों तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से सहयोग प्राप्त कर नि:शुल्क सिकलिंग जांच कराने का आह्वान किया ताकि सिकल सेल की बिमारी से आने वाले पीढिय़ों को बचाया जा सके।

सिकलसेल के बारे में दी जानकारी
कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सिकल सेल के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि सिकल सेल एक जेनेटिक बिमारी है जो माता-पिता से बच्चों में आता है। एएस एवं एसएस वाले व्यक्ति आपस में शादी न कर नेगेटिव वाले से ही शादी करना सुनिश्चित करें, जिससे हमारे परिवार से एवं समाज से सिकलिंग का उन्मूलन हो सके। उन्होंने बताया कि जो बीमार व्यक्ति है, उनका ईलाज लगातार चिकित्सक के सलाह से लेते रहने से रक्त चढ़ाने की प्रवृत्ति घटती है तथा अन्य लक्षण में भी सुधार दिखता है। जो एएस एवं एसएस वाले हैं उनकी शादी होने से पूर्व काउंसलिंग कर आने वाले पीढ़ी को सिकलिंग मुक्त किया जा सकता है।

सिविल सर्जन डॉ जे के रेलवानी ने बताया कि इस बीमारी के लक्षण बच्चे के जन्म के 5 या 6 माह बाद से ही दिखने शुरू हो जाते हैं, इस बीमारी से शरीर में दर्द, बैक्टीरियल संक्रमण होना, हाथों और पैरों में सूजन, दृष्टि संबंधी समस्याएं, हड्डियों को नुकसान, एनीमिया और प्यूबर्टी या प्रौढ़ता आने में देरी आदि लक्षण दिखते हैं।

स्वास्थ्य केन्द्रों में  जेनेटिक कार्ड का वितरण
विश्व सिकसेल जागरूकता दिवस  के अवसर पर जिले में सभी विकासखण्ड के स्वास्थ्य केन्द्रों में कार्यक्रम आयोजित किए। इस अवसर पर जनजागरूकता व स्क्रीनिंग जांच तथा जेनेटिक कार्ड वितरण किया गया।

डीपीएम डॉ पुष्पेन्द्र राम ने बताया कि सिकल सेल दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से हितग्राहियों को 2513 जेनेटिक कार्ड का वितरण एवं 4988 हितग्राहियों का सिकल सेल स्क्रीनिंग किया गया। कार्ड वितरण समस्त विकासखण्डों में मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से किया जा रहा है।

लोगों को किया जागरूक
इस अवसर पर लोगों को सिकलिंग के प्रति जागरूक करने नर्सिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा अम्बेडकर चौक से घड़ी चौक तक जनजागरूकता रैली निकाली गई तथा लोगों को सिकलसेल के बारे में बताया गया। इसके साथ ही  छात्र-छात्राओं के द्वारा नुक्कड नाटक एवं तथा क्वीज के माध्यम से भी सिकलिंग के बारे में लोगों को जागरूक किया।

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