दुर्ग
![विनम्रता अनमोल गहना है इसे सहेज कर रखें- सुमंगल प्रभा विनम्रता अनमोल गहना है इसे सहेज कर रखें- सुमंगल प्रभा](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/17218176754_durg_photo-7.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 24 जुलाई। जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब में आध्यात्मिक वर्षावास में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुकर मनोहर शिष्या साध्वी सुमंगल प्रभा ने कहा आचार्य सम्राट जयमल महाराज द्वारा रचित बड़ी साधु वंदना भक्ति रस की एक अमर रचना है। इसका पहला शब्द नमु यानी नमन प्रणाम होता है। जिनके जीवन में विनय है वह विनम्रता से वह सभी को जीत लेता है। विनम्रता जीवन का अनमोल गहना है। सभी धर्म का मूल ही विनय है। जिससे हम धर्म मानते हैं उसमें विनय का होना अत्यंत आवश्यक है। जिस धर्म में विनय नहीं है वह धर्म, धर्म ही नहीं है। विनय से विनम्रता आती है और यही विनम्रता मोक्ष के द्वार को खोलती है।
साध्वी सुवृद्धि एवं साध्वी रजत प्रभा ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए सुख-दुख के विषय पर सारगर्भित चर्चा की। साध्वी ने कहा अपने-अपने कर्मों के हिसाब से जीवन में सुख दुख का आना जाना चलता रहता है जो जीवन के अंतिम क्षण तक चलता है। हमारी सोच भी कभी ऐसी न हो कि दूसरे का नुकसान हो। सरला बोहरा ने आज छह उपवास के संकल्प लिए। इसी तरह अरिहंत लेखा संचेती एवं नमिता संचेती ने चार उपवास का संकल्प लिया।