महासमुन्द

शिक्षक दिवस से चार दिन पहले दिवंगत रिटायर्ड शिक्षक का देहदान, डेढ़ साल पहले ही प्रक्रिया पूरी की थी
02-Sep-2024 4:01 PM
 शिक्षक दिवस से चार दिन पहले दिवंगत रिटायर्ड शिक्षक का देहदान, डेढ़ साल पहले ही प्रक्रिया पूरी की थी

निर्णय से पहले परिवार खुश नहीं था, सभी सदस्यों को मना लिया था

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
महासमुंद, 2 सितंबर।
शिक्षक दिवस से चार दिन पहले ही महासमुंद के एक शिक्षक का मरणोपरांत देहदान कर दिया गया। रविवार को महासमुंद मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में उनके देह का दान परिजनों ने किया।
महासमुंद शहर के बीटीआई रोड निवासी 69 वर्षीय स्व. गंगाधर पदमवार रिटायर्ड शिक्षक थे। इस तरह स्व. गंगाधर पदमवार ने शिक्षक का फर्ज तो निभाया ही। दुनिया से अलविदा होने के बाद भी मेडिकल की पढ़ाई करने वाले बच्चों को उन्होंने देह दान की घोषणा कर दी थी। इसके लिए उन्होंने डेढ़ साल पहले ही मेडिकल कॉलेज महासमुंद में अपने देहदान की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। उनके इस निर्णय से पहले तो परिवार वाले खुश नहीं थे, लेकिन किसी तरह से उन्होंने अपने परिवार के सभी सदस्यों को मना लिया था। 

परिजनों के मुताबिक बुजुर्ग होने के कारण श्री पदमवार को बीपी शुगर की समस्या थी। जिसके चलते उन्हें रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिनका कल सुबह स्वर्गवास हो गया। इसके बाद परिजन पार्थिव शरीर घर लेकर पहुंचे। घर में दोपहर तक उनके अंतिम दर्शन के पश्चात पार्थिव शरीर को परिजनों ने महासमुंद मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया। जहां एनाटॉमी विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने परिजनों का सम्मान किया और शव को सुरक्षित रख दिया है। 
स्वर्गीय गंगाधर पदमवार 69 साल उम्र के थे। उनकी पत्नी सिंधु पदमवार के अलावा परिवार में एक बेटा प्रवेश पदमवार आईआईएम रायपुर में प्रोफेसर के पद पर है। एक बेटी सुरुचि पदमवार का भी भरा-पूरा परिवार है। स्वर्गीय गंगाधर पदमवार के बेटे और बेटी ने भावुक मन से कहा कि वे अपने पिता के इस निर्णय में साथ हैं। बताया कि परिजन मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. ओमकार कश्यप से चर्चा के बाद देहदान के लिए इंस्पायर हुए थे। अत: अब शिक्षक पदमवार के देह से कई मेडिकल के छात्र पढ़ाई कर अपना भविष्य बनाएंगे।

एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर डॉ. कुंज बिहारी पटेल ने कहा कि हम सभी किसी न किसी सामाजिक रिवाजों में फंसे रहते हैं, लेकिन यदि हम उससे ऊपर उठकर देखें तो देहदान से बड़ा दान कुछ नहीं है। इससे पहले भी मेडिकल कॉलेज महासमुंद को करीब 10 से 11 देहदान मिल चुके हैं। जिन्हें सुरक्षित रखा गया है। इससे मेडिकल के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। भविष्य में सैकड़ों बच्चे मेडिकल की पढ़ाई कर स्पेशलिस्ट बनकर निकलेंगे और लोगों की रक्षा करेंगे। उन्होंने देहदान करने वालों को समाज के बीच अमर बताया और लोगों को इस दिशा में अपनी सोच बदलकर आगे आने की अपील की।

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news