रायगढ़
![अडानी-महाजेनको की कोयला खदान की मंजूरी रुकी अडानी-महाजेनको की कोयला खदान की मंजूरी रुकी](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1609838891G_LOGO-001.jpg)
रमेश अग्रवाल के पत्र पर मंत्रालय ने अपनाया कड़ा रुख
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़ , 5 जनवरी। रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक में स्थित अडानी महाजेनको की महत्वकांक्षी गारे पेलमा सेक्टर 2 कोयला खदान की पर्यावरण स्वीकृति एक बार फिर खटाई में पड़ गई है। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 4 जनवरी को गोल्मेन एनवायरमेंट प्राइज विजेता और जन चेतना के संस्थापक रमेश अग्रवाल को पत्र प्रेषित कर जानकारी दी है कि मंत्रालय द्वारा 1 जनवरी को महाजेनको को पत्र प्रेषित किया गया है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि जब तक फारेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिल जाता है, तब तक पर्यावरण स्वीकृति नहीं दी जा सकती। साथ ही एनजीटी के उस आदेश पर भी जवाब मांगा गया है जिसके द्वारा तमनार घरघोड़ा में ओपन कास्ट माइनिंग पर रोक लगाई गई है।
अहम पहलू यह भी है कि मंत्रालय ने पहली बार ईआईए रिपोर्ट बनाने वाले कंसल्टेंट पर गलत रिपोर्ट देने पर कार्रवाई करने आदेशित किया है। उल्लेखनीय है कि सामाजिक कार्यकर्ता रमेश अग्रवाल शुरू से ही तमनार के ग्रामीणों के साथ इस खदान के खिलाफ कंधे से कंधे मिलाकर लड़ाई लड़ रहे हैं। एक तरफ जहां ग्रामीण सडक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं, तो रमेश अग्रवाल ने कानूनी और ईआईए रिपोर्ट की खामियों को मंत्रालय के समक्ष रखना जारी रखा।
एक जानकारी के अनुसार गारे पेलमा सेक्टर 2 कोयला खदान की जन सुनवाई के खिलाफ रमेश अग्रवाल छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भी गए थे एवं कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन जन सुनवाई स्थगित करने पर बाध्य हो गया था। अंतत: नियम कानूनों को दरकिनार कर 27 सितंबर 2019 को बिना जन के जन सुनवाई की खानापूर्ति पूरी ली गई। सितंबर 2020 में मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी ने परियोजना स्वीकृति की अनुशंसा भी कर दी। साधारणतया कमेटी की अनुशंसा के बाद स्वीकृति पत्र जारी कर दिया जाता है, लेकिन इस मामले में मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने परियोजना को स्वीकृति नहीं दी। गौरतलब रहे कि गारे पेलमा सहित आसपास के आधे दर्जन से अधिक गांव के हजारों ग्रामीण इस प्रोजेक्ट की मुखालफत करते रहे हैं।