विचार / लेख
बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक
जम्मू में वायु सेना के अड्डे पर हुए स्वचालित विमानों (ड्रोन) के हमले से बहुत ज्यादा नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन इस तरह का हमला पहली बार हुआ है। ऐसे बिना पायलट के विमानों से भारत पर पहले कभी किसी ने हमला नहीं किया था। रात को डेढ़ बजे हुए इस हमले से दो जवान घायल हुए और थोड़ी टूट-फूट भी हुई लेकिन इस तरह के हमले बेहद खरनाक भी हो सकते हैं, क्योंकि इसमें हमलावर तो होता ही नहीं है और यदि कुछ नष्ट होता है तो सिर्फ विमान ही होता है। जम्मू के जिस हवाई अड्डे पर यह विस्फोट हुआ, उसका इस्तेमाल देश के महत्वपूर्ण लोगों के लिए होता है। इसके पहले भी भारत-पाक सीमांत पर कई ड्रोन-हमले हुए हैं लेकिन उनमें होता यही था कि वे विमान कुछ हथियार, कुछ नोटों के थैले और कुछ भारत-विरोधी प्रचार-सामग्री गिरा देते थे। इन पायलटविहीन स्वचालित विमानों का उपयोग तस्करी का सामान पहुंचाने के लिए भी किया जाता है।
इधर 25 फरवरी के बाद से भारत-पाक सीमांत पर युद्ध-विराम समझौते के बाद गोलीबारी की घटनाएं कम हुई हैं लेकिन इस तरह के स्वचालित विमानों के हमले गहरी चिंता का विषय बन गए हैं। इन्हें आतंकवादी हमलों से कम नहीं माना जा सकता। वैसे भारत के पास ऐसे स्वचालित विमान भी हैं और उन्हें पकडऩे के लिए रडार भी हैं लेकिन जम्मू के सैन्य हवाई अड्डे पर हमला करनेवाले विमान इतनी कम ऊंचाई पर उडऩेवाले थे कि उन्हें खोज पाना आसान नहीं है। इस तरह के स्वचालित विमानों का इस्तेमाल आर्मेनिया और अजरबेजान तथा सीरिया-युद्ध में होता रहा है। भारतीय सैन्य विशेषज्ञों का अंदाज है कि ये नीचे उडऩेवाले विमान पाकिस्तान से आए होंगे, क्योंकि वहां के आतंकवादी गिरोह इस तरह के विमानों का उपयोग तस्करी के लिए करते रहे हैं। यह आश्चर्य की बात है कि आजकल पाकिस्तान की इमरान सरकार भारत से संबंध सुधारने के इशारे कर रही हैं और सीमांत पर ऐसी गंभीर घटनाएं हो रही है। हो सकता है कि आतंकवादी गिरोह इस बात से नाखुश हों कि आजकल कश्मीरी नेताओं से भारत सरकार ने सीधा संवाद शुरु कर दिया है। इस दाल-भात में वे मूसलचंद बनने की कोशिश कर रहे हों।
जहां तक पाकिस्तानी सरकार का सवाल है, आजकल अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन ने उसका गला दबा रखा है। वह उसके आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए मजबूर कर रही है। जम्मू के भारतीय वायु सेना के अड्डे पर हुए इस हमले से पाकिस्तानी सरकार की दुविधा कुछ न कुछ बढ़ेगी ही। अब जबकि काबुल पर तालिबान का वर्चस्व बढऩे की संभावना से इस्लामाबाद भी थोड़ा चिंतित दिखाई पड़ रहा है, यह सही समय है, जब नीति के तौर पर उसे आतंकवाद का परमपूर्ण विरोधी बन जाना चाहिए। हजार साल के आतंकवाद से भी कोई नतीजा निकलनेवाला नहीं है। इसके अलावा भारतीय फौज शीघ्र ही नीचे उडऩेवाले इन स्वचालित विमानों को पकडऩे और गिराने का इंतजाम भी कर लेगी।
(नया इंडिया की अनुमति से)