विचार / लेख

संगीत की हत्या !
31-Aug-2021 2:20 PM
संगीत की हत्या !

-ध्रुव गुप्त

 

अफगानिस्तान के अंद्राबी घाटी के लोकगायक फवाद अंद्राबी को अफगान लोकसंगीत की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम है जिन्हें बड़े सम्मान से सुना जाता है। अब वे हमारे बीच नहीं रहे। तालिबान द्वारा शरिया कानून के तहत संगीत पर प्रतिबंध के बाद संगीत की महफि़ल सजाने के आरोप में आतंकियों द्वारा रविवार को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।

दुनिया भर के संगीतप्रेमियों के लिए यह एक स्तब्ध कर देने वाली घटना है। इस हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान से कलाकारों के मानवाधिकारों का  सम्मान करने का आह्वान किया है। इस घटना के बाद  एक बार फिर यह बहस शुरू हो गई है कि इस्लाम में सचमुच संगीत हराम है या यह सोच संसार की इस श्रेष्ठ कला के विरुद्ध कुछ दकियानूस मुल्लों की साजिश है।

इस विषय पर पवित्र कुरान को साक्ष्य मानें तो वहां एक भी आयत ऐसी नहीं है जिसके आधार पर यह मान लिया जाय कि इस्लाम संगीत का निषेध करता है। हदीसों में जरूर संगीत को अच्छी नजर से नहीं देखा गया है। हदीसों के आधार पर कुछ लोग कुछ खास अवसरों पर ही संगीत को वैध मानते है और कुछ लोग किसी भी परिस्थिति में उसे हराम। ज्यादातर मुस्लिमों की उलझन यह है कि वे कुरान की सुनें या हदीस की। उचित तो यह है कि मुस्लिमों को कुरान को साक्ष्य मानकर अल्लाह के इस्लाम पर ही चलना चाहिए।

संगीत में अश्लीलता का विरोध हर हाल में सही है और यह सबको करना चाहिए, लेकिन एक कला के रूप में संगीत का विरोध गलत है। कुरान में स्वयं अल्लाह ने ऐसे विरोधियों पर नाराजगी व्यक्त की है जो अपनी मर्जी से उन बातों के लिए भी मना करते हैं जिनके लिए अल्लाह ने मना नहीं किया है।

अफगानी लोकगायक फवाद अंद्राबी को खिराज-ए-अकीदत!

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