विचार / लेख

वांग यी की यात्रा का असली अर्थ
27-Mar-2022 11:29 AM
वांग यी की यात्रा का असली अर्थ

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत-यात्रा बड़ी रहस्यमय है। इसका अर्थ निकालना आसान नहीं है। वे हमारे विदेश मंत्री जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित दोभाल से मिल चुके हैं। वे भारत अपनी मर्जी से आए हैं। उनको बुलावा नहीं दिया गया था। उन्होंने अपनी भारत-यात्रा की घोषणा भी नहीं की थी। वे इसी तरह काबुल भी पहुंच गए थे। काबुल में तालिबान के विदेश मंत्री और अफसरों से तो उनकी बात हुई ही, रूसी प्रतिनिधि काबुलोव से भी उनकी गिटपिट हुई।

अब वे श्रीलंका भी जाएंगे। ऐसा लगता है कि इस वक्त चीन अपनी छवि सुधारने में लगा हुआ है। कोरोना महामारी सारे संसार में फैलाने का जो दोष उसके माथे मढ़ा गया है, वह उसकी सफाई में जुटा हुआ है और अपनी महाशक्ति की छवि को चमकाने के लिए कृतसंकल्प है। वांग यी भारत इसलिए नहीं आए हैं कि भारत-चीन सीमांत विवाद शांत हो जाए। यदि वे इसलिए आए होते तो उस मुद्दे पर कोई ठोस प्रस्ताव लेकर आते लेकिन दोभाल और जयशंकर से हुई उनकी बातचीत से लगता है कि उनके भारत आने का खास उद्देश्य यही है कि ‘ब्रिक्स’ की अगली बैठक का कहीं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहिष्कार नहीं कर दें।

यदि मोदी ने बहिष्कार कर दिया तो चीन की नाक कट सकती है। इसीलिए जब जयशंकर और दोभाल ने सीमा का मुद्दा उठाया और कहा कि उसे हल किए बिना दोनों देशों के संबंध सहज नहीं हो सकते तो वांग ने कह दिया कि वे सहमत हैं और वे इस मुद्दे पर संवाद जारी रखेंगे। उन्होंने दोभाल को चीन आने का निमंत्रण भी दे दिया। यूक्रेन के मुद्दे पर चीन पूरी तरह से अमेरिका के विरोध में है लेकिन भारत की तरह वह तटस्थता का दिखावा भी कर रहा है।

ऐसा लगता है कि अब रूस और चीन का एक गुट तथा अमेरिका, नाटो, आकुस और क्वाड का दूसरा गुट बनने जा रहा है। लेकिन भारत को काफी सावधान रहना है। उसे अमेरिका की फिसलपट्टी पर झेलेंस्की की तरह फिसल नहीं जाना है। उसे अपने पांव पर खड़े रहना है। इसीलिए दोनों विदेश मंत्रियों ने युद्ध को रोकने और राष्ट्रीय संप्रभुताओं की रक्षा की बात को दोहराया।

वांग यी ने इस्लामाबाद में कश्मीर पर जो कुछ कहा, उस पर भी आपत्ति की गई लेकिन वांग ने कहा कि दुनिया की ज्यादातर समस्याओं पर भारत और चीन का नजरिया एक-जैसा है। यदि वे मिलकर परस्पर सहयोग करें तो दोनों देशों के लिए यह बहुत लाभदायक होगा। चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग और वांग यी जो कह रहे हैं, यदि वे सचमुच उसका पालन करें तो यह सदी एशिया की सदी बन सकती है।

(नया इंडिया की अनुमति से)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news