विचार / लेख

ऑनलाइन परीक्षा पर बवाल क्यों?
29-Mar-2022 12:48 PM
ऑनलाइन परीक्षा पर बवाल क्यों?

-डॉ. राजेश अवस्थी
आखिरकार आज छत्तीसगढ़ की सरकार ने विश्वविद्यालय की परीक्षाएं ऑनलाइन लिए जाने का आदेश जारी कर दिया। आदेश जारी होते ही सोशल मीडिया में शिक्षाविदों ने पोस्ट डालने शुरू कर दिए।
कहा जा रहा है कि ‘ऑनलाइन परीक्षा के बजाय सीधे जनरल प्रमोशन ही क्यों न दे दिया जाय।’ कुछ को दुख है कि ‘इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।’
‘ऑनलाइन परीक्षा से सिर्फ डिग्री मिलेगी ज्ञान नहीं’
आदेश अभी शाम को जारी हुआ है। अभी बहुत से ज्ञानवान लोग ऐसे और सवाल पूछेंगे।
इस पर बात करने से पहले ये पूछना चाहूंगा कि छत्तीसगढ़ के निजी विश्वविद्यालयों में क्या हो रहा, क्या इस पर ज्ञानियों की नजर नहीं पड़ रही?
या जानबूझ कर आंख बंद किएबैठे हैं
निजी विश्वविद्यालयों में तो परीक्षा न ऑनलाइन न ऑफलाइन सीधे पैसे दो डिग्री लो। धन्नासेठों और खद्दर धारी लोगों की निकम्मी औलादों के लिए चल रहे इन निजी विश्वविद्यालयों में सिर्फ एडमिशन लेना है। न पढऩा है, न परीक्षा देना है।
धन्नासेठों और खद्दरधारी नेताओं के हर जाहिल संतान के पास निजी विश्वविद्यालय की भारी-भरकम परसेंट वाली मार्कशीट है। इनके बारे में अगर आप सवाल नहीं खड़े करते तो आपकी ईमानदारी, आपकी शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा होता है।
जाहिर है सवाल तो सिर्फ गरीबों के बच्चों की डिग्री पर उठेगा। रईसों के खिलाफ बोलने से पहले अपने नफा-नुकसान का भी ख्याल रखना होता है।
हमारे समाज की समझ पर बाबा नागार्जुन ने सटीक लिखा है-
‘...बड़ी मुसीबत हो जाती, गर कंगले होते पास’
पूरी कविता कुछ ऐसी है
‘खून पसीना किया आपने एक,
जुटाई फीस
आंखें, पढ़-पढ़ धस गई
नंबर आये तीस
शिक्षा मंत्री ने सीनेट से कहा
अजी शाबाश
बहुत मुसीबत हो जाती
गर कंगले होते पास
फेल पुत्र का बाप दुखी है
सिर धुनती है माता
जनगणमन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता’
गरीब बच्चों के सरकारी विश्विद्यालयों की ऑनलाइन परीक्षा होगी तो सरमायेदारों के ढिंढोरची, तबलची खूब राग भैरवी बजायेंगे।
निजी विश्वविद्यालय तो इनकी नजर में आइंस्टीन पैदा कर रहे।
अब ऑनलाइन परीक्षा पर छात्र क्या मांग रहे थे
1. यूजीसी मापदंडों के अनुरूप 180 दिनों के पूरे सत्र की पढ़ाई हो उसके बाद परीक्षाएं हों।
2. अगर पूरे सत्र की पढ़ाई नहीं हो सकती तो ‘जैसी पढ़ाई वैसी परीक्षा’ हो याने ऑनलाइन पढ़ाई तो ऑनलाइन परीक्षा।
3. परीक्षाएं लेने की हड़बड़ी क्यों है,180 दिन की पढ़ाई पूरी कराओ फिर जून में ऑफलाइन परीक्षा ले लो अप्रेल में ही परीक्षा लेने की जिद क्यों?
4. सीएसवीटीयू में अभी ऑनलाइन (्रञ्ज्यञ्ज) परीक्षाएं चल रही फिर सीएसवीटीयू और बाकी यूनिवर्सिटी के लिए अलग-अलग मापदंड क्यों?
5. रविशंकर विश्वविद्यालय की प्रायोगिक परीक्षाएं अभी कल या परसों ही शुरू हुई है। 19 तारीख से ही थ्योरी की परीक्षाएं कराने की जिद क्यों (आज तक सभी प्रायोगिक परीक्षाओं के बाह्य परीक्षकों के नाम तक तय नहीं कर पाई है यूनिवर्सिटी। लेकिन 19 से ही थ्योरी की परिक्षा की जिद क्यों)
दरअसल, सच्चाई ये है कि सभी (लगभग) निजी कॉलेजों ने कोरोना काल में अपने शिक्षकों को निकाल दिया है। ये निजी महाविद्यालय इस सत्र में पढ़ाई पूरी करा ही नहीं सकते।
ये चाहते हैं कि इस सत्र को किसी भी तरह पूरा कर जुलाई-अगस्त में नए सत्र की शुरुआत हो जाये ताकि पैसा आये।
निजी महाविद्यालय, विश्वविद्यालय प्रशासन पर जल्दी परीक्षा लेने दबाव बनाए हुए हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के हित में सोचने के बजाय निजी कॉलेजों की दलाली में लगा है।
एमएचआरडी की गाइड लाइन थी कि कोरोना काल में सिलेबस में कटौती की जाय और 60 प्रतिशत सिलेबस की परीक्षा ली जाय।
विश्वविद्यालय सो रहा था सिलेबस कमेटी की मीटिंग तक नहीं की गई।
अभी कल ही कुछ कॉलेजों में प्रायोगिक परीक्षाएं हुईं एक ही दिन दो-दो विषयो की प्रायोगिक परीक्षाएं ली जा रहीं।
क्या ये ठीक हो रहा है?
सिलेबस के अनुसार फिजिक्स प्रैक्टिकल की परीक्षा 4 घंटे की और कंप्यूटर प्रेक्टिकल की परीक्षा भी 4 घंटे की होने चाहिए। 3 घंटे में ही दोनों विषयो की प्रैक्टिकल की परीक्षाएं लेकर क्या खूब ऑफ लाइन गुणवत्तापूर्ण परीक्षा हो रही थी।
सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब स्कूल के छात्र ऑफ लाइन परीक्षा दे सकते हंै तो कॉलेज के छात्र क्यों नही दे सकते?
सवाल फिर वही पढ़ाई नहीं हो पाई है, स्कूल के छात्रों की पढ़ाई में विराम नहीं लगा, लॉकडाउन के समय में भी नहीं।
राज्य शासन ने बुलठू के बोल, पढ़ाई तुंहर दुवार, मोहल्लाक्लास, लाउड स्पीकर कक्षाएं जैसी अनोखी योजनाएं बनाई, सिर जमीन पर उतारा, पढ़ाई बंद नहीं होने दी, योजनाओं का विश्लेषण और मूल्यांकन किया सकारात्मक नतीजे आये। तब जाकर ऑफ लाइन परीक्षाएं करवाई।
विश्वविद्यालयों ने क्या किया, पूरे समय सोते रहे, बस परीक्षा अपने समय पर लेना है, वो भी पूरे पाठ्यक्रम की।
 

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