विचार / लेख
पेट्रोल-डीजल के दाम इतने बढ़ जाएंगे कि घर से दफ्तर और दफ्तर से घर तक का सफर दौड़ते हुए ही पूरा करना पड़ेगा
-सोरित गुप्तो
बहुत दिन पहले वह शुक्रवार की आधी रात थी। गांव-देहात के अंधेरे-गरीबी और लाचारी से हजारों किलोमीटर दूर रौशनी से लबरेज मेट्रो सिटी के नागरिकों के लिए वीकेंड बस शुरू होने को ही था। वीकेंड शुरू होते ही शहर भर के लोग होटल और रेस्टोरेंट पर बावलों की तरह टूट पडऩे वाले थे।
अचानक लोगों ने एक युवक को तेजी से दौड़ता हुआ देखा। इस युवक ने एक निकर और टीशर्ट पहनी थी और कंधे पर एक बैग था। इस दौड़ते हुए युवक ने लोगों में सनसनी फैला दी। लोगों में अनुमान लगाने की होड़ सी मच गई कि आखिर वीकेंड के इस शुभ मुहूर्त में युवक क्यों दौड़ रहा है?
इसी भीड़ में एक प्रोफेसर साहब थे जिन्होंने ‘एंटायर-पॉलिटिकल-साइंस’ में एमए किया था। प्रोफेसर साहब बोले, ‘इस युवक के कपड़ों को देखकर मैं दावे के साथ बता सकता हूं कि यह युवक अस्सी फीसदी की कैटिगरी में आता है। अस्सी फीसदी कैटिगरी के लोग आज खतरे में हैं और इसी खतरे के डर से युवक भागा जा रहा है। मित्रों इसकी मदद कीजिए।’
भीड़ में एक टीवी एंकर मौजूद था। मौके की नजाकत को समझते हुए उसने कहा, ‘नेशन वांट्स तो नो कि आखिर यह युवक क्यों दौड़ रहा है और देश के बुद्धिजीवी इस पर खामोश क्यों हैं?’
उसी भीड़ में व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के कुछ मेधावी छात्र उपस्थित थे जिन्होंने तुरंत एक दूसरे को मैसेज करना शुरू कर दिया जिसका लब्बोलुआब था, ‘वह युवक नेहरू की गलत नीतियों का शिकार है जिसके चलते वह भागा जा रहा है।’
भीड़ में खड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘मेरे पास पूरी जानकारी है। यह युवक यूक्रेन में डाक्टरी की पढ़ाई करने गया था और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते फंस गया था। भारत आने की फ्लाइट न मिलने पर उसने तय किया कि कीव से दिल्ली तक की दूरी दौड़ कर तय करेगा।’
बात से बात बढ़ी और जल्द ही इस घटना का खबरिया चैनल पर सीधा प्रसारण होने लगा। आगे-आगे युवक दौड़ रहा था और उसके पीछे-पीछे ओवी वैन की भीड़ चल रही थी। पुराने जमाने में कभी किसी हेमलिन शहर में ऐसा ही कुछ हुआ था जब एक बांसुरी वाले की धुन पर पहले शहर भर के चूहे और बाद में बच्चे बांसुरी वाले पीछे-पीछे चल पड़े थे।
पर इस बात का अब भी किसी के पास कोई जवाब नहीं था कि आखिर यह युवक दौड़ क्यों रहा था? बात मुंबई फिल्म इंडस्ट्री तक जा पहुंची और एक निर्देशक आनन-फानन में अपने क्रू के साथ घटनास्थल आ पहुंचा और अपनी कार लेकर युवक के साथ-साथ चलने लगा। उसने युवक को कहा, ‘आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा।’
पर युवक उसकी बातों को अनसुना कर दौड़ता रहा। निर्देशक ने कहा, ‘कहो तो मैं तुम्हारी फाइल, मेरा मतलब है कि बायोपिक बना दूं। कसम कैमरे की, हमकू भी 100 करोड़ कमाने वाला निर्देशक बनना मांगता। साइनिंग अमाउंट नकद लोगे या पनामा से ट्रांसफर कर दूं?’
एक तरफ निर्देशक साहब युवक को ऑफर पर ऑफर दिए जा रहे थे वहीं दूसरी तरफ युवक पर उनकी किसी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था। थोड़ी ही देर में युवक को पत्रकारों, ओवी वैन और वीकेंड मनाने के लिए निकली भीड़ ने घेर लिया। भीड़ ने पूछा, ‘भाई तू आखिर दौड़ क्यों रहा है?’
युवक ने हंसते हुए कहा, ‘विधानसभा चुनाव अभी हाल ही में खत्म हुए हैं। चुनावों के चलते सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ा रही थी। जल्द ही पेट्रोल और डीजल के दाम इतने बढ़ जाएंगे कि आप पेट्रोल खरीदने लायक नहीं रहोगे। ऐसे में घर से दफ्तर और दफ्तर से घर तक का सफर दौड़ते हुए ही पूरा करना पड़ेगा। इसीलिए मैं अभी से दौडऩे की प्रैक्टिस कर रहा हूं! मेरी मानो तो आप भी दौडऩे की प्रैक्टिस शुरू कर दो।’
इतना कहकर वह युवक दौड़ता हुआ आगे निकल गया। (downtoearth.org.in)