राजनांदगांव

सूखे के हालात से किसानों के सिर पर मंडरा रही अकाल की काली छाया !
25-Aug-2021 2:10 PM
सूखे के हालात से किसानों के सिर पर मंडरा रही अकाल की काली छाया !

   नांदगांव के 9 में से 7 ब्लॉकों में धान की फसल सूखने की कगार पर   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 25 अगस्त।
जिले के मोहला-मानपुर ब्लॉक को छोडक़र दूसरे ब्लॉकों में सूखे के हालात से किसानों के सिर पर अकाल की काली छाया मंडरा रही है। नांदगांव जिले के 9 में से 7 ब्लॉक सूखे की कगार पर पहुंच गए हैं। खंड और अल्प वर्षा के हालात के कारण मानसून के झमाझम बरसने की संभावना लगातार क्षीण पड़ती दिख रही है। आषाढ़ और सावन में मानसून ने खुलकर किसानों के साथ दगा किया है। भादो में आमतौर पर मामूली बरसात ही होती है। बताया जा रहा है कि धान की फसल के लिए अगले  10-12 दिन बेहद अहम है। इस दौरान बारिश नहीं होने से फसलों का चौपट होना तय है।

राजनांदगांव जिले में ढाई लाख हेक्टेयर में धान की फसल खड़ी है। बताया जा रहा है कि खेतों में लगातार दरारें पड़ते देखकर किसानों के माथे में भी चिंता की लकीरें साफतौर पर दिख रही है। सूखे के कारण किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए पंपों का सहारा लेना पड़ रहा है। मानसून की चाल भादो में भी कमजोर पड़ी हुई है। ऐसे में जमीन से पानी निकालने में भी किसानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। जिले में खरीफ की फसल में धान की सर्वाधिक रूप से बुआई होती है। खरीफ की फसल के लिए किसानों को सहकारी बैंक के जरिये ऋण भी मुहैया कराया गया है। बैंक के कर्जदार होने की वजह से फसलों के नष्ट होने की हालत में किसानों की माली हालत कमजोर होगी। बताया जा रहा है कि राजनांदगांव के कृषि अधिकारियों की एक टीम ने भौतिक सत्यापन के लिए दौरा शुरू किया है।  

इस संबंध में उप संचालक कृषि गोपाल सिंह धुर्वे ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि अगले सप्ताहभर में बारिश नहीं होने की स्थिति में फसलों को बचाना मुश्किल है। फिलहाल खेतों में मौजूद नमी से फसलें खड़ी हालत में है। उन्होंने कहा कि भौतिक सत्यापन करते हुए स्थिति की जानकारी ली जा रही है।

इस बीच मोहला-मानपुर ब्लॉक में दूसरे ब्लॉकों की तुलना में अच्छी बारिश हुई है। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र की फसलों के लिए फिलहाल पर्याप्त पानी है। एक जानकारी के मुताबिक धान की फसलें लगभग सूखने की दिशा में बढ़ रही है। उधर चौपट होते फसलों को बचाने के लिए बांध-बैराजों से पानी छोडऩे के लिए दबाव बढ़ाया जा रहा है। हालांकि बांध-बैराजों की स्थिति भी जिले में कमजोर है। बैराजों के आधा भरने की सूरत में फसल के लिए पानी छोडऩा  मुश्किल दिख रहा है। जिले में अल्प वर्षा के हालात से किसानों के साथ-साथ देहात इलाकों के तालाब खाली पड़े हुए हैं। अगले कुछ दिनों में मूसलाधार बारिश नहीं होने की स्थिति में ग्रामीणों को निस्तारी और पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

सोयाबीन अच्छी स्थिति में
मानसून के रूठने से धान की तुलना में सोयाबीन की फसल को अब तक खास नुकसान नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि सोयाबीन की पैदावार अच्छी स्थिति में है। धान के बजाय सोयाबीन की बुआई करने वाले किसानों ने राहत की सांस ली है। सोयाबीन फसल के लिए लगातार किसानों को फसल परिवर्तन चक्र के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जिन किसानों ने सोयाबीन की बुआई पर दिलचस्पी ली, उन्हें फायदा होता दिख रहा है।

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