राजनांदगांव
![साक्षरता का अलख जगाने फूंके करोड़ों साक्षरता का अलख जगाने फूंके करोड़ों](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1631087177jn__1.jpg)
20 फीसदी निरक्षर होने से पूर्ण साक्षर जिला नहीं बन पाया नांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 सितंबर। राजनांदगांव जिले को पूर्ण साक्षर जिला का दर्जा मिलने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। साक्षरता के जरिये निरक्षरता को दूर करने की मुहिम में करोड़ों फूंके गए, लेकिन शिक्षा का अलख जगाने में अभियान कमजोर पड़ गया। बीते एक दशक में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए चलाए गए साक्षरता मिशन पर करोड़ों रुपए फूंके गए, पर लक्ष्य को छूने में अभियान की सार्थकता सिद्ध नहीं हो पाई है।
बताया जा रहा है कि 10 साल में साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत गांव-गांव में अभियान भी चलाया गया। साक्षरता अभियान के लिए केंद्र सरकार की ओर से करोड़ों रुपए दिए गए। दस बरसों से स्वयंसेवक शिक्षकों के माध्यम से अध्यापन और अध्ययन कार्य कराया जा रहा है। साक्षरता दर बढ़ाने के लिए गांवों में प्रेरकों की भी नियुक्ति की गई, लेकिन 2018 से प्रेरकों की सेवाएं भी खत्म कर दी गई है। अब प्रेरक बेरोजगार होकर दूसरे काम कर रहे हैं।
राजनांदगांव जिले में अब भी 20 प्रतिशत लोग पूरी तरह से निरक्षर है। अक्षर ज्ञान की कमी को दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार 10 साल की एक कार्ययोजना पर करोड़ों रुपए फूंक रही है। बताया जा रहा है कि साक्षरता अभियान पूरी तरह से नांदगांव में सुस्त चाल में है। शिक्षा की समझ बढ़ाने के लिए साक्षरता अभियान को जोरशोर से शुरूआत में चलाया गया। भारत साक्षर अभियान कार्यक्रम से अब तक नतीजे अपेक्षित रूप से सामने नहीं आए हैं। नांदगांव जिला फिलहाल 80 फीसदी साक्षर हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार नांदगांव जिले में 85.46 पुरूष और 66.70 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हुई है। उच्च साक्षर दर 75.96 है।
बताया जा रहा है कि साक्षरता अभियान के तहत पढऩा-लिखना कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। वर्तमान में 9 हजार लोग साक्षर होने के लिए अभियान से जुड़े हुए हैं। इस संबंध में जिला साक्षरता प्रभारी रश्मि सिंह ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि विश्व साक्षरता दिवस के कार्यक्रम में होने के बाद वह बात करेंगी। इस बीच राजनांदगांव जिले के विकासखंडों के कुछ गांवों में अब भी निरक्षर लोग मौजूद हैं। साक्षरता अभियान के जरिये निरक्षरता को दूर करने की चुनौती को विभाग पार नहीं कर पाया है। ऐसे में अभियान की महत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।