राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 सितंबर। दिग्विजय कॉलेज स्थित त्रिवेणी परिसर में राजनांदगांव साहित्य परिषद एवं कान्य कुब्ज सभा ने डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र के 123वीं जयंती मनाते पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चंद्रशेखर शर्मा का सम्मान शाल, श्रीफल भेंट किया गया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने साहित्यकार डॉ. मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते उन्हें आत्मसात करने पर बल दिया। इस दौरान नगर निगम आयुक्त डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि डॉ. मिश्र भारत के ऐसे प्रथम शोधकर्ता थे, जिन्होंने अंग्रेजी शासनकाल में अंग्रेजी के बदले हिंदी में अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत कर डी. लिट् की उपाधि प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि डॉ. मिश्र की 85 से अधिक साहित्य कृतिया हैं जो लोगो को प्रेरणा देती है।
साहित्यकार डॉ. चंद्रशेखर शर्मा ने कहा कि राजनांदगांव जिले में साहित्य मर्मज्ञ डॉ. गजानंद माधव मुक्तिबोध, डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी और डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र ने राजनांदगांव जिले में साहित्य की आधारशिला रखी है। हिन्दी को जीवित रखने और उन्हें समृद्ध रखने के लिए इन महान विभूतियों का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि डॉ. मिश्र न केवल साहित्यकार थे, बल्कि वे कुशल प्रशासक और समाजसेवी थे।
इस अवसर पर कान्य कुब्ज सभा के अध्यक्ष सूर्य प्रकाश द्विवेदी, सचिव अजय शुक्ला, नांदगांव साहित्य परिषद के अध्यक्ष अखिलेश तिवारी, शोध निदेशक डॉ. शंकरमुनि राय एवं डॉ. मिश्र के परिवार सदस्य प्रदीप कुमार मिश्र, मनीष मिश्रा, आरपी दीक्षित, रंजन मिश्र सहित राजनांदगांव साहित्य परिषद एव कान्यकुंज सभा के सदस्य उपस्थित थे। इस अवसर पर डॉ. चंद्रशेखर शर्मा द्वारा संपादित बल्देव प्रसाद मिश्र पर केन्द्रित पुस्तक ’मानस के राजहंस, डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र की प्रति नगर निगम आयुक्त डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी को भेंट किया गया।