राजनांदगांव

मूसलाधार बारिश से बाढ़ का बढ़ा खतरा
14-Sep-2021 3:12 PM
मूसलाधार बारिश से बाढ़ का बढ़ा खतरा

बांध-बैराज से छोड़े गए पानी से नदियां उफान पर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 14 सितंबर। भादो का महीना बारिश के लिहाज से सुकून भरा साबित हो रहा है। वहीं निरंतर हो रही बारिश से बाढ़ का खतरा भी बढ़ गया है। नदी-नालों की स्थिति पिछले कुछ दिनों से खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। शिवनाथ नदी एकमात्र जिले की सबसे बड़ी जीवनदायिनी नदी है। शिवनाथ के साथ-साथ सहायक नदियां भी उफान मार रही है। नदी-नालों की स्थिति भी खतरे से ऊपर पहुंच गई है।

पिछले दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से अब हालात बिगडऩे लगे हैं। बांध-बैराज से छोड़े गए पानी से और भी स्थिति खराब होती दिख रही है। शिवनाथ का जलस्तर देखकर बाढ़ का अंदेशा गहरा गया है। जिले में शिवनाथ और पैरी नदी के साथ-साथ दूसरी नदियों की रफ्तार बढ़ी है। मोंगरा बैराज और प्रधानपाठ बैराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। मोंगरा बैराज के पानी से शिवनाथ की धार तेज हो गई है। जबकि प्रधानपाठ बैराज से निकल रहे पानी से आमनेर नदी भी छलक रही है। चारों तरफ पानी होने से बाढ़ की आशंका गहरा गई है। मोंगरा समेत बड़े बैराजों से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है।

मोंगरा से 4 हजार, सूखा नाला से 3200 और घुमरिया नाला से 3000 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। तीनों बैराज का शिवनाथ नदी से सीधा जुड़ाव है। ऐसे में शिवनाथ अब बौराई हुई हालत में दिख रही है। हालांकि राजनांदगांव जिले के उत्तरी इलाके के बैराज अभी भी खाली हैं। रूसे, ढारा और पिपरिया जलाशय में औसतन 60 फीसदी तक ही पानी भरे हुए हैं। जबकि मटियामोती और मडियान जलाशय में भी पानी का जमाव पर्याप्त क्षमता में नहीं पहुंचा है।

बताया जा रहा है कि रूसे में 66, ढारा में 47, पिपरिया में 58, मटियामोती में 42 तथा मडियान जलाशय में 72 फीसदी जमा हुआ है। उधर मोंगरा बैराज ही एकमात्र क्षमता के अनुरूप भराव करने वाला बैराज है। मोंगरा अपने क्षमता के अनुसार 85 फीसदी भर गया है। सूखानाला की स्थिति 71 फीसदी भराव के साथ बेहतर हो गई है। वहीं घुमरिया नाला भी 84 फीसदी पानी से लबालब हो गया है।

बताया जा रहा है कि बांध-बैराज में अब स्थिति सुखद हो गई है। बैराजों में पानी की कमी से सिंचाई  व्यवस्था पर विपरीत असर पडऩे का अंदेशा बढ़ गया था। बरसाती पानी से खरीफ की फसलें खड़ी होती है। जबकि बांध-बैराज के पानी की बदौलत ही रबी की फसलों की बुआई होती है। ऐसे में पानी को लेकर चिंतित लोगों को राहत मिल रही है। कैचमेंट एरिया से पहुंचे पानी से बैराज तेजी से भर रहे हैं।

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