राजनांदगांव
गोटाटोला-पाटनवासड़ी में थाना बनाने का प्रस्ताव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 7 नवंबर। राजनांदगांव जिले से पृथक होकर मोहला-मानपुर को नया जिला का दर्जा मिलने के बाद राजस्व और पुलिस महकमे में सीमाओं की स्थिति लगभग साफ हो गई है। नक्सल क्षेत्र मोहला-मानपुर में राजस्व से ज्यादा पुलिस महकमे की स्थिति सबकी नजर जमी हुई है। लिहाजा नए जिले के रूप में अस्तित्व में आने पर मोहला-मानपुर में करीब दर्जनभर थाने होंगे। वहीं कुछ नए थाने में बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक नए जिले में वर्तमान में 12 थाने शामिल किए गए हैं। जिसमें 3 पुलिस अनुभाग के अंतर्गत थानों का सरहद तय किया गया है। नए जिले में सबसे महत्वपूर्ण अंबागढ़ चौकी, मोहला और मानपुर थाने होंगे। दर्जनभर थानों में ज्यादातर नक्सल क्षेत्र के थाने होंगे। बताया जा रहा है कि प्रशासनिक हल्के में दर्जनभर थानों को एक जिले के लिए पर्याप्त संख्या माना जाता है। छत्तीसगढ़ के कई जिले ऐसे भी हैं, जहां 7 से 8 थाने है। करीब दो साल पहले अस्तित्व में आए गौरेला-पेंड्रा-मारवाही जिले में गिनती के तीन थाने रहे। ऐसे में मोहला-मानपुर की स्थिति इन जिलों से अलग है। मुंगेली जिले में भी थानों की संख्या सीमित है। मोहला-मानपुर में कुछ और नए थाने बनाए जाने के प्रस्ताव को स्थानीय स्तर से सरकार को भेजे गए हैं। सूत्रों का कहना है कि गोटाटोला और पाटनवासड़ी को भी थाना बनाए जाने की संभावना दिख रही है। राज्य सरकार ने ही दोनों को थाना का दर्जा देने संबंधित प्रस्ताव मांगे हैं। नए जिले के अस्तित्व में आते ही नए थाने भी खुलेंगे। इसके अलावा यातायात, महिला सेल, अनुसूचित जाति-जनजाति थानों को भी मंजूरी दी जाएगी। इस तरह नए जिले में लगभग दर्जनभर थाने होंगे।
नए ओएसडी पोस्टिंग के आसार
राज्य के प्रशासनिक नक्शे में मोहला-मानपुर का बतौर जिला एक जनवरी से अस्तित्व में आने की पूरी संभावना है। सरकार जल्द ही ओएसडी के रूप में नए अफसरों की पोस्टिंग कर सकती है। माना जा रहा है कि इसी माह ओएसडी के तौर पर नियुक्ति हो सकती है। नए जिले के अस्तित्व में आने से पूर्व कम से कम दो माह ओएसडी काम करेंगे। प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था के मद्देनजर सरकार अफसरों को पदस्थ कर सकती है। मिली जानकारी के मुताबिक कलेक्टर और एसपी की पोस्टिंग के लिए प्रशासनिक हल्के में काफी उठापटक चल रही है। खासकर पुलिस कप्तान बनने के लिए डायरेक्टर और प्रमोटी आईपीएस के बीच रेस चल रही है। नक्सल क्षेत्र होने के कारण इस बात की पूरी संभावना चल रही है कि युवा आईपीएस को जिले की कमान मिल सकती है।