राजनांदगांव

पार्टी की चुनिंदा बैठकों में ही कांग्रेस विधायकों की रूचि
12-Nov-2021 12:50 PM
पार्टी की चुनिंदा बैठकों में ही कांग्रेस विधायकों की रूचि

  संगठन से तालमेल नहीं रखने पर पुनिया के तेवर के सियासी मायने  

'छत्तीसगढ़' संवाददाता
राजनांदगांव, 12 नवंबर। 
राज्य में दो वर्ष बाद प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस सांगठनिक ढांचे को मजबूत करने पर जोर दे रही है। दुर्ग में आयोजित पार्टी की बैठक में प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने विधायक और संगठन के बीच घटती दूरिया को लेकर एक बयान में साफ तौर पर कहा कि पार्टी को महत्व नही देने के बर्ताव के चलते पिछले विधायकों का विधानसभा चुनाव में पत्ता साफ कर दिया गया। कड़े तेवर के साथ दिए पुनिया के बयान को राजनांदगांव की सियासत से जोडऩे की कोशिश की जा रही है। दिसंबर में तीन बरस पूरे करने जा रही कांग्रेस सरकार के राजनांदगांव के विधायक कार्यकर्ताओं से नजदीक नजर नहीं आ रही है।

जिला और शहर कांग्रेस की बैठकों में नियमित तौर पर विधायक बैठक में आने से परहेज करते हैं। जिले के छह में से चार विधानसभा में कांग्रेस के विधायक है। सत्तासीन होने के बाद से विधायकों का संगठन से सीधा जुड़ाव कम हो गया है। ब्लॉक अध्यक्षों के कामकाज में विधायकों की सीधी दखल होती है, लेकिन कार्यकर्ताओं की पूछपरख से उनकी दूरिया बनी हुई है। चर्चा है कि कार्यकर्ता इस बात से भी हैरान है। जिले के साथ ही प्रदेश के आला नेताओं ने भी संगठन के साथ परस्पर संबंध बनाने के निर्देशो से ध्यान हटा दिया है। जिले के विधायकों की सांगठनिक गतिविधियों में घटती रूचि से निचले कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ी है। हालांकि विधायकों के संगठन से दूर रहने को लेकर जिला अध्यक्ष पदम कोठारी इत्तेफाक नहीं रखते हैं।

‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में श्री कोठारी ने कहा कि सभी विधायक पार्टी के बैठकों में नियमित तौर पर पहुंचते हैं। कई बार व्यस्तता के चलते बैठक  में नहीं पहुंचते, लेकिन संगठन के निर्देशों के तहत सभी कार्य करते हैं। इधर कांग्रेस के भीतर विधायकों को लेकर अलग ही राय है। चार में से तीन विधायकों को मंत्री का दर्जा मिलने के बाद से स्थिति और बदली है। गुजरे तीन बरस में सत्तारूढ़ होने से विधायकों से लोगों की अपेक्षाएं कम होने के बजाय बढ़ गई है। कांग्रेस का एक धड़ा लगातार शीर्ष नेताओं से कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज करने की स्थिति को लेकर आपत्ति भी कर रहा है। विधायकों के सत्ता के करीब होने से संगठन में एकाधिकार या फिर दबाव से काम करने के रवैय्या को लेकर भी कार्यकर्ता असहज महसूस कर रहे हैं। यह दीगर बात है कि ऊपरी तौर संगठन से रिश्ते बेहतर होने के हालत दिखते हैं, लेकिन अंदरूनी हालात अलग है। बहरहाल पुनिया का बयान विधायकों के लिए संभलने का एक मौका माना जा रहा है।

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