राजनांदगांव
![धान पराली जलाने पर होगी आर्थिक दंड की कार्रवाई धान पराली जलाने पर होगी आर्थिक दंड की कार्रवाई](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1636719989G_LOGO-001.jpg)
गौठान में पराली दान करने की अपील
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 नवंबर। जिले में धान फसल की कटाई प्रारंभ हो गई है, जिन क्षेत्रों में धान के बाद रबी फसल लिया जाता है। वहां किसान धान कटाई के बाद खेत में पड़े पराली को जला देते हैं। इस संबंध में किसानों को भ्रम है कि पराली जलाने के बाद अवशेष (राख) से खेत को खाद मिलेगा तथा खेत साफ हो जाएगी, लेकिन यह गलत है, क्योंकि पराली जलाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता तथा लाभदायक कीट खत्म हो जाते हैं। इससे वायु प्रदूषण भी होता है। जिससे मनुष्य, पशु, पक्षी को कई तरह की बीमारियां भी होती है। जिसका उदाहरण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे शहरों में कुछ वर्षों से देखने को मिल रहा है।
धान की पराली जलाने से होने वाले नुकसान
एक टन धान पराली जलाने से हवा में 3 किलोग्राम कार्बन, 513 किलोग्राम कार्बन डाईआक्साईड, 92 किलोग्राम कार्बन मोनो आक्साईड तथा 250 किलोग्राम राख घुल जाती है। धान पराली जलाने से वायु प्रदूषित होने से आंखों में जलन एवं सांस संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। पराली जलाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता लगातार घट रही है। इस कारण भूमि में 80 प्रतिशत तक नाईट्रोजन, सल्फर एवं 20 प्रतिशत अन्य पोषक तत्व की कमी आ रही है। मित्र कीट की मृत्यु होने से नई-नई बीमारियां उत्पन्न होती है। एक टन धान पराली जलने से 5.5 किलोग्राम नाईट्रोजन, 2 किलोग्राम फास्फोरस और 1.2 किलोग्राम सल्फर जैसे पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। पशुओं के लिए वर्षभर चारा आपूर्ति की समस्या बन जाती है।