राजनांदगांव

संयमित जीवन जीने से बेहतर कोई दूसरा जीवन नहीं है-डाकलिया
12-Nov-2021 6:23 PM
संयमित जीवन जीने से बेहतर कोई दूसरा जीवन नहीं है-डाकलिया

नांदगांव में मुमुक्षुओं का भव्य स्वागत, वरघोड़ा निकला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 नवंबर।
नगर के प्रतिष्ठित डाकलिया परिवार के भूपेंद्र डाकलिया, उनकी पत्नी सपना डाकलिया, पुत्र देवेंद्र एवं हर्षित डाकलिया तथा पुत्रियां मुक्ता एवं महिमा डाकलिया सहित 17 दीक्षार्थियों के गुरुवार को नगर आगमन पर गायत्री मंदिर चौक में उनका भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद वरघोड़ा निकला, जो कामठी लाइन, भारत माता चौक होते हुए जैन मंदिर पहुंचा।

यहां दर्शन के बाद मुमुक्षु जैन बगीचे स्थित ज्ञान वल्लभ उपाश्रय भवन पहुंचे, जहां इनका अभिनंदन किया गया। उपस्थितजनों को संबोधित करते भूपेंद्र डाकलिया ने कहा कि वे पूरे परिवार को गुरु के चरणों में अर्पित कर रहे हैं । उनका गुरु के प्रति समर्पण भाव कभी भी कम न हो, यही उनकी इच्छा है।

ज्ञान वल्लभ उपाश्रय भवन में आयोजित अभिनंदन समारोह का संचालन करते जैन समाज के रितेश लोढ़ा ने सर्वप्रथम सुप्रिया बेलावाला और दीपिका छाजेड़ को गीतिका के लिए आमंत्रित किया। तत्पश्चात राजेंद्र सुराणा ने कहा कि 15 जनवरी को राजनांदगांव में होने वाली दीक्षा को पर्व के रूप में पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाएगा।

सुशील कोठारी ने कहा कि ऐसा दृश्य हमारे राजनांदगांव ने कभी नहीं देखा कि एक साथ इतने लोगों ने और वह भी एक परिवार के 6 लोगों ने संयम की राह चुनी हो। सारा का सारा परिवार ही दीक्षित हो रहा हो। अब वह शुभ घड़ी आ गई है डाकलिया परिवार के 6 सदस्य 15 जनवरी को दीक्षा ग्रहण करने जा रहे हैं।

रोशन गोलछा ने भूपेंद्र डाकलिया के परिवार सहित दीक्षा लेने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस दीक्षा की अनुमति पूर्व महापौर एवं सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष नरेश डाकलिया ने रोते हुए दी और आचार्य भगवन से अनुरोध भी किया कि दीक्षा राजनांदगांव में ही होनी चाहिए, जिसे मान लिया गया।

कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने भी समारोह में पहुंचकर दीक्षार्थी डाकलिया परिवार व अन्य को संबोधित करते कहा कि तपस्या का मार्ग बहुत कठिन है। ईश्वर से उनकी कामना है कि मुमुक्षु अपने मार्ग में आगे बढ़े और अन्य समाज के लिए प्रेरणा बने।

सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष नरेश डाकलिया ने कहा कि जितने भी दीक्षार्थी हैं, उन्होंने सोच रखा है कि यह संसार एक समुद्र है और जीवन एक सुई की तरह है। सुई को यदि समुद्र में फेंक दिया जाए तो उसे ढूंढना मुश्किल हो जाता है, इसलिए कुछ ऐसा कर जाएं कि मानव जीवन का कल्याण तो हो ही, आत्म कल्याण भी हो और इसके लिए संयमित जीवन जीने से बेहतर कोई दूसरा जीवन नहीं है। इस दौरान दीक्षार्थियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
भूपेंद्र डाकलिया ने कहा कि वे उनके काका नरेश डाकलिया के शुक्रगुजार हैं जिनकी वजह से उन्हें एवं उनके परिवार को संयम की राह पर चलने का बल मिला। उन्होंने बताया कि किस तरह पूरे परिवार ने दीक्षा ग्रहण करने का निर्णय लिया।

श्री डाकलिया ने बताया कि 15 दिन पहले मध्यप्रदेश के सिवनी के समीप स्थित नमीउण तीर्थ में उन्हें उनकी पुत्री मुक्ता ने दीक्षा लेने की इच्छा जाहिर की थी। इसके कुछ देर बाद दूसरी पुत्री महिमा ने भी दीक्षा लेने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद उनके पुत्र हर्षित ने और फिर देवेंद्र ने दीक्षा लेने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने भी अपनी पत्नी के साथ दीक्षा लेने की सोच ली और इसकी अनुमति मुहूर्त लेने संघ लेकर पहुंचे उनके काका एवं सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष नरेश डाकलिया ने रोते हुए दी, तब वहां उपस्थित लोग भावविभोर हो गए।

उन्होंने बताया कि उनके चाचा नरेश डाकलिया ने आचार्य भगवन से कहा कि यह दीक्षा नांदगांव में ही होनी चाहिए और आचार्य भगवन श्री जिन पीयूष सागर सुरीश्वर जी महाराज ने 15 जनवरी का मुहूर्त तय किया। श्री डाकलिया ने कहा कि राजनांदगांव से एक और परिवार संयम की राह की ओर बढऩे हेतु अग्रसर है जिसके नाम कवर खिलाकर नहीं कर सकते, परंतु यह परिवार भी संयम की राह में आगे बढ़ सकता है ।

इसके बाद दीक्षार्थियों भूपेंद्र डाकलिया, सपना डाकलिया, मुक्ता डाकलिया, महिमा डाकलिया, देवेंद्र डाकलिया, हर्षित डाकलिया के अलावा भूमि गोलछा, मानस गोलछा, लब्धि सकलेचा, दर्शना तातेड़, संयम पारख, हिमांशी सुराना, रजत चोपड़ा, मयंक लोढा, संयम कोटडिया, रानी खजांची, गीतेश लालवानी का सकल सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष नरेश डाकलिया, रिद्धकरण कोटडिया, अजय सिंगी सहित अन्य पदाधिकारियों द्वारा स्मृति चिन्ह एवं श्रीफल देकर उनका अभिनंदन किया गया।

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