राजनांदगांव
![मुक्तिबोध का साहित्य छायावाद से लेकर नई कविता के युग तक का साहित्य मुक्तिबोध का साहित्य छायावाद से लेकर नई कविता के युग तक का साहित्य](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1636979854jn__10.gif)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 15 नवंबर। मुक्तिबोध की 104वीं जयंती पर दिग्विजय महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुक्तिबोध का साहित्य दर्शन विषय पर आधारित इस व्याख्याान में नागपुर विवि के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय और दिल्ली के मोहित कृष्ण ने मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दिया।
प्राचार्य डॉ. बीएन मेश्राम की अध्यक्षता में आयोजित व्याख्यान का विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष डॉ. शंकरमुनि राय के व्याख्यान से हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीलम तिवारी व आभार प्रकट डॉ. बीएन जागृत ने किया। व्याख्यान से पूर्व महाविद्यालय स्टॉफ और विद्यार्थियों ने त्रिवेणी परिसर स्थित मुक्तिबोध, बख्शीजी और बल्देवप्रसाद मिश्र की प्रतिमा पर पुष्पांंजलि अर्पित की। इस दौरान डॉ. राय ने कहा कि मुक्तिबोध इस संस्था के लिए धरोहर और प्रेरक साहित्यकार है। हम उनके साहित्य दर्शन को जीवन-दर्शन मानकर पढ़ते और पढ़ाते हैं। उनके साहित्य को किसी वाद और विवाद से अलग रखकर समझना चाहिए। आप सहज नहीं, गूढ़ रचनाकार हैं। आप मनोरंजन नहीं, चिंतन के साहित्यकार हैं।
मोहित कृष्ण ने कहा कि मुक्तिबोध का साहित्य छायावाद से लेकर नई कविता के युग तक का साहित्य है। उसमें प्रगतिवाद, प्रयोगवाद और आधुनिक कविता का संस्कार बसा हुआ है। मुख्य वक्ता डॉ. मनोज पांडेय व डॉ. बीएन जागृत ने भी अपने विचार रखे। कार्यकक्रम का संचालन डॉ. नीलम तिवारी ने कया।