दन्तेवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दन्तेवाड़ा, 19 मई। जिला प्रशासन की संयुक्त टीम को एक बाल विवाह रोकने में सफलता मिली। ग्रामवासियों द्वारा भविष्य में गाँव में अपनी ओर से बाल विवाह नहीं होने देने का वादा भी किया गया।
जिला मुख्यालय से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित कुम्हाररास में बाल विवाह होने की सूचना चाइल्ड लाइन दन्तेवाड़ा को मिली। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी वरुण सिंह नागेश के मार्गदर्शन में जिले की संयुक्त टीम, जिसमें चाइल्ड लाइन, पुलिस थाना दन्तेवाड़ा एवं जिला बाल संरक्षण इकाई दन्तेवाड़ा के द्वारा विवाह कार्यक्रम स्थल पर पहुँचकर वर एवं वधु की आयु का सत्यापन किया।
वधु द्वारा बताये गये आयु एवं घर के शैक्षणिक प्रमाण-पत्र में उल्लेखित जन्मतिथि के अनुसार दोनों की वैद्यानिक आयु, विवाह हेतु पूरी नहीं पाया गया। कम आयु होने पर प्रशासन की टीम द्वारा बच्चों के परिजनों को समझाइश दी एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियमों से अवगत कराये जाने के साथ आयु पूर्ण होने से पहले विवाह करने पर बालिका के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों तथा होने वाले संतानों के कुपोषित होने के खतरों के बारे में बताया गया। इसके बाद पर पक्ष, बच्चों के विवाह की वैद्यानिक आयु पूर्ण होने से पहले विवाह नहीं कराए जाने पर सहर्ष राजी हो गए।
विवाह कार्यक्रम स्थल पर वधु पक्ष के परिवार के लोग उपस्थित नहीं थे, इसलिए प्रशासन की टीम द्वारा बालिका को अपने संरक्षण में लेकर बाल कल्याण समिति (बूब) के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया।
कार्रवाई के दौरान वधु पक्ष द्वारा प्रस्तुत शैक्षणिक दस्तावेज अनुसार बालिका की वर्तमान आयु 18 वर्ष 2 माह है परन्तु वर की आयु 21 वर्ष पूर्ण नहीं होने के कारण, समिति द्वारा दोनों पक्षों से परामर्श कर समझाइश देते हुए बताया कि बाल विवाह केवल सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि कानूनन अपराध भी है, ऐसे विवाह में शामिल माता-पिता, रिश्तेदार, पुरोहित सभी अपराधी माने जा सकते हैं तथा बाल विवाह करने और कराने वाले को दो वर्ष तक कारावास एवं एक लाख रूपए तक जुर्माना भी हो सकता है।
समिति ने संबंधित प्रावधानों की जानकारी देते हुए दोनों बालक-बालिका का विवाह आयु पूर्ण होने के पश्चात् ही करने की समझाइश दी। दोनों पक्षों की सहमति से समिति द्वारा कार्यवाही पूर्ण कर वधु को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।