दन्तेवाड़ा

घुड़सवारी की बारीकियां सीखते छात्र
23-Apr-2024 2:48 PM
घुड़सवारी की बारीकियां सीखते छात्र

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 23 अप्रैल।
बच्चों में छिपी प्रतिभा को उजागर करने के लिए छात्र जीवन एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, यही समय होता है जब बच्चों के रूचि अनुरूप उनके रूझान को पहचान कर उनके भावी जीवन की दशा और दिशा को सही मार्गदर्शन दें सकते है। 

छात्रों के सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास के लिए किताबी ज्ञान के साथ-साथ खेल-कूद सहित अतिरिक्त विधाओं में भी पारंगत होने की दरकार होती है। अगर खेल-कूद की बात की जाए तो क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल, कबड्डी जैसे परंपरागत खेलों से आमतौर पर हर कोई परिचित रहता है और सीखा जा सकता है। परंतु कई विधाएं ऐसी है जिसकी सुविधा सहज ही उपलब्ध नहीं हो पाती और घुड़सवारी विधा भी एक ऐसी विधा है। परंतु जिला प्रशासन द्वारा अभिनव पहल करते हुए जावंगा स्थित एजुकेशन हब के छात्र-छात्राओं को घुड़सवारी में पारंगत करने की कवायद की जा रही है। इसके लिए राजधानी रायपुर से घोड़े एवं प्रशिक्षक की व्यवस्था की गई है।

इस क्रम में जावंगा स्थित स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के एकलव्य खेल परिसर में छात्रों हेतु घुड़सवारी प्रशिक्षण गत 1 अप्रैल से प्रारंभ किया गया है। और छात्र-छात्राओं को सुबह और शाम दो पालियों में घुड़सवारी की बारीकियां, अश्व संचालन के तौर तरीके सिखाए जा रहे है और फिलहाल 30-30 छात्र-छात्रा घुड़सवारी प्रशिक्षण ले रहे है। 

घुड़सवारी प्रशिक्षण के लिए 09 घोड़े उपलब्ध कराये गये है जिनके नाम क्रमश: वेलेनटाइन, विक्टोरिया, वीनस, केस्टो, हेनरी, आशी, पीसी, सूजी एवं मिली मीटर है। घुड़सवारी सीख रही लोहंडीगुड़ा की कक्षा-9वीं की छात्रा सुखमती बैज और फरसपाल की मानसी कर्मा, नेमेड़ की बबिता पोयाम, कारली की दीपिका, ग्राम रोकेल की ललिता मुचाकी ने इस संबंध में बताया कि घुड़सवारी सीखना उनके लिए एक रोमांचक अनुभव है और अभी परीक्षा के बाद उनकी छुट्टियां चल रही है और इसका वे सदुपयोग कर रही है। साथ ही उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि घुड़सवारी सीखने का मौका मिलेगा। 

इसी प्रकार कक्षा 12वीं के छात्र गंगालूर से अंकित हेमला, गंजेनार के सागर भास्कर, बारसूर के भरत मंडावी, महराकरका के सूरज कवासी, दंतेवाड़ा के शंकर मंडावी का कहना था कि शुरुआत में उन्हें घोड़ों से झिझक तो हुई परंतु अब घोड़ों के नाम पुकारने पर घोड़े भी पहचानने लगे है। इस प्रशिक्षण में सभी को कुछ नया सीखने का आनन्द आ रहा है और उन्होंने यहां घोड़ों को साधने की तमाम बारिकियां सीखा और यह पल हमेशा यादगार रहेगा। 

इस संबंध में खेल परिसर के अधीक्षक रजनीश ओसवाल बताते है कि यहां घुड़सवारी सीखने वाले छात्र संवेदनशील ग्रामों के रहवासी है और वे पूर्ण आत्मविश्वास के साथ घुड़सवारी सीख रहे है। और यह संभवत पूरे बस्तर संभाग का पहला शैक्षणिक आवासीय परिसर है, जहां छात्रों को घुड़सवारी सिखाई जा रही है। साथ ही स्पोर्ट्स सेंटर में घोड़ों को रखने के लिए अस्तबल की भी व्यवस्था है। 

जिला प्रशासन द्वारा ऐसे क्षेत्र के बच्चों को घुड़सवारी सीखने के मुख्य उद्देश्य छात्रों में आत्मविश्वास एवं क्षमतावर्धन की प्रवृत्ति और प्रतिभा को प्रोत्साहन देना है ताकि बच्चे नि:संकोच किसी भी अवसर एवं परिस्थिति को अपनाने में तत्पर रहे। जाहिर है भले ही बच्चे जिस भी माहौल में रहे पले बढ़े हैं, आत्मविश्वास में वृद्धि होने पर उनका व्यक्तित्व बहुआयामी बनेगा।

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