दन्तेवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
किरंदुल/बचेली, 10 जुलाई। भगवान जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा शनिवार शाम को उत्कल भवन से मौसी बाड़ी से वापसी गुंडिचा मंदिर में नौ दिन की प्रवास के बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ राघव मंदिर परिसर में स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए रवाना हुए।
सुबह परंपरागत तरीके से बाल्य भोग, सूर्य पूजा, द्वारपाल, चकाछाड़, मंगल आरती, गौ पूजा के बाद दोपहर पहंडी आरंभ किया गया। उसके बाद एनएमडीसी परियोजना किरंदुल के मुख्य अधिशासी निदेशक आर गोविंदराजन एवं उनकी पत्नी शांति गोविंदराजन प्रेरणा महिला समिति की अध्यक्ष, साथ में बी के माधव उपमहाप्रबंधक कार्मिक उनकी पत्नी इंदिरा माधव द्वारा भगवान के रथ को विधिवत पूजा कर सोने की झाड़ू से रथ मंडप और रास्ते को साफ करके छेरापहरा का परंपरा निभाया गया।
शाम 4 बजे से भगवान की रथ वापसी का बाहुड़ा यात्रा शुरू हुआ, जो उत्कल भवन की मौसी बाड़ी गुण्डिचा मंदिर से बैंडपार्टी एवं तुरही और शंखध्वनि की धुन में पेट्रोल पंप, बैंक चौक, अम्बेडकर पार्क के सामने से होते हुए सैकड़ों भक्त एक साथ रथ को खींचते हुए राघव मंदिर पहुँची। रास्ते में बड़ी संख्या में भक्त भगवान का जय जयकार करते रहे। हजारों की संख्या में भक्तों ने भगवान का दर्शन करने के साथ साथ पूजा अर्चना भी की। श्री राघव मंदिर के सामने रथ की विधिवत पूजा आरती करने के बाद प्रसाद वितरण किया गया।