सुकमा
रोजमर्रा की जरूरतों के लिए ग्रामीण जान जोखिम में डालकर कर रहे नाला पार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 12 जुलाई। बस्तर के अलग-अलग जिलों में इन दिनों बारिश का प्रभाव देखने को मिल रहा है। सुकमा जिले के कई इलाके बारिश की वजह से प्रभावित नजर आ रहे हैं, इससे सीधा प्रभाव जनजीवन पर पड़ रहा है।
कोंटा एसडीएम बनसिंह नेताम ने कहा कि कोंटा तहसील अंतर्गत कुल 19 गाँव हैं, जो कि बाढ़ से प्रभावित होते हैं । सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित कोंटा और इंजरम ग्राम है और कोंटा के वार्ड क्रमांक 13,14,15 है। लगभग 140 की जनसंख्या है जो बाढ़ से प्रभावित होते हैं । ऐसे लोगों के विस्थापन के लिए राहत सेंटर की व्यवस्था की गई है । कोंटा में चार सेंटर को चिन्हित किया गया है । बाढ़ प्रभावित लोगों को रहने व भोजन की व्यवस्था तथा उनके सामानों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था है।
आंध्रप्रदेश के वीरापुरम और कोंटा बॉर्डर के चट्टी इलाके में एनएच 30 पर बाढ़ का पानी आ गया है, जिस वजह से सुकमा जिले के दोरनापाल इलाके से कोंटा के बीच लंबा जाम लग चुका है। एहतियातन इन गाडिय़ों को रोका गया है। पिछले 1 हफ्ते से जगरगुंडा मार्ग पर आवागमन बदहाल है, क्योंकि पानी कहीं पुल के ऊपर से बह रहा है तो कहीं कच्चे पुल को तोडक़र बह रहा है। लगभग 60 ऐसे गांव हैं, जिनका सीधा संपर्क एनएच-30 व जिला मुख्यालय से टूट चुका है, क्योंकि वहां से मुख्य मार्ग तक आने के लिए रास्ते में जो नाला पड़ता है, वह लबालब भरा हुआ है।
रोजमर्रा की समस्याओं के लिए ग्रामीण जान जोखिम में डालने के लिए भी तैयार हंै, कहीं बच्चे को पतीले में रखकर उफनते नाले को पार कर रहे हैं तो कहीं राशन को उफनते नाले से निकालने पेड़ गिराकर ग्रामीणों द्वारा पेड़ को ही वैकल्पिक पुल बना लिया गया।
इधर, जगरगुंडा मार्ग पर जहां मुखराम नाला उफान पर है, वहीं बुर्कापाल के पास प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के लिए तत्कालीन वैकल्पिक कच्चे पुल का निर्माण किया गया था जो पानी के बहाव से टूट गया।
पतीले में बच्चे को रखकर उफनते नाले से पार करवाती दिखी माँ
बीते दिनों केरलापाल क्षेत्र के पोंगाभेज्जी गांव के नाले में एक महिला को उसके गांव अपने दूधमुहे बच्चे के साथ पहुंचना था, लेकिन लगातार बारिश होने के कारण नाला उफान पर आ गया। इन इलाकों में पुल भी अब तक नहीं बनाया जा सका है, जिस वजह से गांव पहुंचने का आखिरी रास्ता जोखिम भरा था। उस महिला ने अपने बच्चे को एक पतीले में रखकर महिला और एक युवक ने उस पतीले को दोनों ओर से पकड़ कर तैरना शुरू किया। पानी के तूफान से तीनों ही अनियंत्रित बहे जा रहे थे हालांकि अच्छी बात यह रही कि तीनों सकुशल नाला पार कर लिए, लेकिन इस तरह का जोखिम भरा निर्णय खतरनाक भी साबित हो सकता था और जान पर भी बन आती। इन इलाकों में नक्सलियों का प्रभाव है जिस वजह से आज तक पुल पुलिया का निर्माण नहीं किया जा सका और बारिश में यह घटनाक्रम इन इलाके के आदिवासियों के रोजमर्रा का हिस्सा बनी रहती है ।
अतिवृष्टि से बाढ़ की संभावना, लोगों से सावधानी बरतने अपील
भारत सरकार, मौसम विज्ञान केन्द्र लालपुर रायपुर के द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार जिले में लगातार हो रही अतिवृष्टि तथा पड़ोसी राज्य तेलंगाना के भद्राचलम में गोदावरी नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर होने से बैक वाटर से जिला सुकमा की नदी नाले उफान पर आने की प्रबल संभावनाएं हैं। आगामी 48 घण्टे में अति भारी वर्षा को देखते हुये तहसील क्षेत्रान्तर्गत चिन्हांकित किये गये जर्जर भवनों, झोपडिय़ों, विद्युत पोलों, सुखे खड़े पेड़ों आदि प्रभावित होने की संभावना है।
उपरोक्त दृष्टिकोण से आम नागरिकों से अपील किया जाता है, कि जर्जर भवनों, झोपडिय़ों, विद्युत पोलों, सुखे खड़े पेड़ों आदि से दूर रहे। टूटे हुए बिजली के खम्भों, तारों व दूसरी नुकीली चीजों से दरवाजे/खिड़कियां बंद रखे । मवेशियों व पशुओं की सुरक्षा के लिए उन्हें बांध कर न रखें। उफनती नदियों को पार न करें।
किसी भी प्रकार के आपात स्थिति निर्मित होने पर जिला कार्यालय के कण्ट्रोल रूम के दूरभाष नं 07864-284012 में तथा तहसील छिन्दगढ क्षेत्र हेतु - 7000298003, तहसीलदार कोण्टा – 9425597806 तथा तहसीलदार सुकमा 9399903009 के मोबाईल नम्बर पर तत्काल अवगत करावें ।
पुल नहीं तो ग्रामीणों ने लकड़ी से बनाया डेढ़ सौ मीटर पुल
सुकमा जिले के ग्रामीणों का जुगाड़ू पुल चर्चा में है, जिसके जरिए ग्रामीण नदी को पार करते हैं. ये पुलिस सुकमा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर नागलगुड़ा गांव में बना है. इसे बनाने के लिए लकड़ी व तार का उपयोग किया गया है । नागलगुड़ा गांव में मलगेर नदी पर सालों से चली आ रही मांग के बाद भी कोई पुल नहीं बन पाया है । ऐसे में ग्रामीण गांव बाहर जाने या गांव में आने के लिए काफी परेशान रहते हैं । खासकर बारिश के दिनों में ये समस्या बढ़ जाती है, जब नदी नाले उफान पर रहते हैं । इसी का तोड़ निकलाने के लिए गामीणों ने अपने जुगाड़ से पुल का निर्माण कर लिया, जो आज प्रशासन के लिए एक आइना है । आखिरकार ग्रामीणों ने खुद ही अपनी समस्या का समाधान करने का सोचा और आवश्यकता ही अविष्कार की जननी कहावत को सच कर दिया । लोगों ने साथ मिलकर लकड़ी व तार के सहारे नदी पर जुगाड़ का पुल तैयार कर लिया हैं, जिसका उपयोग करके ग्रामीण नदी पार करने के लिए करते हैं। इसी पुल के जरिए वो सफ्ताहिक बाजार भी जाते हैं । इसके साथ ही अब उनकी खेती का काम भी इसी पुल के जरिए हो रहा है । इधर दरभा ब्लॉक के कलेपाल से भी एक वीडियो आया है जिसमें ग्रामीण रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जान जोखिम में डालने को तैयार है नाले से उस पार जाने के लिए पुल नहीं है तो ग्रामीणों ने पेड़ को गिरा कर पेड़ को ही वैकल्पिक पुल बना लिया जिसके बाद रोजमर्रा की जरूरतों का सामान और राशन उस पेड़ के ऊपर से निकालते दिखाई दे रहे हैं हालांकि यह वैकल्पिक व्यवस्था बेहद जोखिम भरी है प्रशासन ने इस तरह से नालों को पार ना करने की अपील की है।
शबरी के बैक वाटर से बढ़ेंगी प्रशासन व लोगों की मुश्किलें
गोदावरी के बढ़ते जलस्तर के चलते सबरी में बैक वाटर की समस्या अब प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि इससे कोंटा के निचले इलाके सबसे पहले प्रभावित होंगे और उन तक राहत पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है अब कोंटा बार्डर के पास एन एच जाम हो जाने से कोंटा छत्तीसगढ़ से आंध्रप्रदेश तेलंगाना का सीधा संपर्क टूट गया है वहीं मंगलवार से कई यात्री कोंटा में फंसे हुए हैं । दुसरी ओर कोंटा के शबरी तटों पर बसे गाँवों के लिए भी प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है।
ज्ञात हो कि कोंटा बार्डर से लगे हुए शबरी तथा गोदावरी उफान पर होने की वजह से बैक वाटर से प्रति वर्ष यहाँ ऐसी स्थिति निर्मित होती है । बीते वर्ष भी कोंटा बार्डर के पास बाढ़ के पानी की वजह से दस दिनों तक राज मार्ग बाधित रहा । कोंटा के सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के अनुसार प्रथम खतरे के निशान 13 फीट पानी पहुंच गई है। जिससे चलते कोंटा नगर के कुछ वार्ड वासीयों को बाढ़ का खतरा महसूस होने लगा है । वहीं विकास खंड मुख्यालय कोंटा से लगा ग्राम पंचायत ढोंढऱा के शबरी तट पर बसे कुछ ग्रामीण अपने मकानों के सामान भी खाली कर रहे हैं।