सुकमा

‘ऐसी लागी लगन...’ गाकर रघुनाथ ने 17 राज्यों के होनहारों के मध्य जीता तीसरा पुरस्कार
12-Jul-2022 9:49 PM
‘ऐसी लागी लगन...’ गाकर रघुनाथ ने 17 राज्यों के होनहारों के मध्य जीता तीसरा पुरस्कार

झारखण्ड में आयोजित सबल अवार्डस में छत्तीसगढ़ का किया प्रतिनिधित्व

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 12 जुलाई।
प्रतिभा और जीवन जीने की ललक इंसान में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। उसे प्रेरित करती है, जीवन में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के सपने देखने और उन्हें पूरा करने की। और सपने बंद आखों से ही देखे जाते हैं। मेरा भी सपना है, किसी बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा की बदौलत अपने परिवार का नाम करना। यह कहना है सुकमा जिले के आकार संस्था में अध्ययनरत 10वीं के छात्र रघुनाथ नाग का। जिन्होंने हाल ही में जमशेदपुर, झारखण्ड में टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा दिव्यांग बच्चों के विशिष्ट कला प्रतिभा को प्रोत्साहित करने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सबल अवार्डस् में छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व किया।

रघुनाथ पूर्णत: दृष्टिबाधित है, पर उनके हौसले और जीवन जीने का अंदाज प्रेरणादायक है। उनमें गजब की गायन प्रतिभा है। रघुनाथ ने 17 राज्यों के प्रतिभागियों के बीच निर्णायकों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और तीसरा पुरस्कार अपने नाम किया। हार्मोनियम वादन के साथ ही रघुनाथ ने ‘‘ऐसी लागी लगन...‘‘ पर सुरों का ऐसा समा बाधां कि सब मंत्रमुग्ध रह गये।

आज कलेक्टर हरिस. एस ने रघुनाथ को इस विशिष्ट उपलब्धि के लिए बधाई दी और भविष्य में गायन-वादन के क्षेत्र में सफलता के लिए शुभकामनाएं दी। रघुनाथ को सबल फाऊंडेशन द्वारा प्रशस्ति पत्र और 10 हजार का चेक पुरस्कार प्रदान किया गया है।

संगीत के सुरों से गढऩा चाहता हूं अपना भविष्य-रघुनाथ
सुकमा विकासखण्ड अंतर्गत सोनाकुकानार के निवासी रघुनाथ नाग, पांच भाई-बहनों में चौथे हैं। जन्म से ही दृष्टिबाधित रघुनाथ ने दुनिया अपने मन की आखों से देखी और इनमें रंग भरे हैं। करीब 12 वर्ष की उम्र में रघुनाथ के पिता श्री सोनु राम नाग ने उसका दाखिला जिले के आकार संस्था में करवाया, जहां दिव्यांग बच्चों को विशेष देखरेख के साथ ही शिक्षा प्रदान की जाती है।

आकार संस्था में आकर रघुनाथ को दुनिया और रंगीन दिखने लगी, यहां उस जैसे ही बहुत से दिव्यांग बच्चे थे, जो अपनी दुनिया गढऩे में मस्त रहते। कक्षा छटवीं में रघुनाथ को संगीत के सुरों ने अपनी ओर आकर्षित किया और वह उसमें बंधता चला गया। वर्तमान में रघुनाथ कक्षा दसवीं में पढ़ रहा है और एक पारंगत गायक के साथ ही उम्दा हार्मोनियम वादक भी है। वह अभी ढोलक और तबला वादन भी सीख रहा है।

उसने बताया कि सुरों के संगम में जीवन आसान लगता है, मुझे कभी इस बात का अहसास नहीं होता कि मैं देख नहीं सकता। बल्कि उसे इस बात की खुशी है कि वे इस कोरे संसार को अपने पंसद के सुरों में पिरोते हैं।

रघुनाथ संगीत के क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाना चाहता है, और अपने परिवार के साथ ही सुकमा जिले और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करना चाहता है।

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