सुकमा

जुगाड़ के पुल से आवागमन करने की मजबूरी, बुनियादी सुविधाओं की कमी
13-Jul-2022 9:13 PM
जुगाड़ के पुल से आवागमन करने की मजबूरी, बुनियादी सुविधाओं की कमी

मनकापाल पंचायत के नागलगुंडा का हाल

नुपूर वैदिक
सुकमा,  13 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
जिला  मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर बसा  मनकापाल पंचायत का गाँव नागलगुंडा में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। हालात ऐसे हैं कि लोग जान जोखिम में डालकर नदी में  लकडिय़ों का पुल बनाकर नदी पार करते हैं। गांव के बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं भी उसी पुल का उपयोग करते हैंतथा बच्चे  स्कूल भी इसे  पार कर जाते हैं।

जिले का एक ऐसा गांव, जहां वक्त ने ग्रामीणों को इतना मजबूर किया कि जुगाड़ से एक ऐसे पुलिया का निर्माण कर लिया, जो देखने में साधारण बिजली तार से बनी है, लेकिन मजबूती इतनी कि पूरे ग्रामीणों का भार सह लेती है, जिसके सहारे ग्रामीण अपने रोजमर्रा के सामान लेने व उस पार बसे रिश्तेदारों से मिलने आते-जाते हैं।

सडक़ दलदल भरी
सडक़ की सुविधा का अभाव है। सडक़ तो बनी है लेकिन दलदल से भरी है, जिस वजह से ग्रामीणों को पक्की सडक़ तक पहुचने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बरसात के दिनों में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव  
ये छोटा सा गांव अपने अतीत की पहचान को समेटे हुए वर्तमान के साथ संघर्ष कर रहा है। सुकमा जिला  मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर दूर बसा यह ग्राम जिसमें 50 परिवार निवास करते हैं, आवाजाही के लिए सडक़ की सुविधा नहीं है। अपने घर जाने के लिए ग्राम के समीप बहने वाली एक छोटी सी नदी को पार कर उस पार रिश्तेदारों से मिलने अपने बनाए पुल से जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में जल स्तर नदी का काफी बढ़ जाता है, जिससे बच्चे हो या बूढ़े सभी ग्रामीणों को अपनी जान हथेली पर रखकर नदी पार करने को विवश होना पड़ता है। बरसात में ग्रामीणों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

ग्रामवासियों की पक्की सडक़ पर पहुंचने के लिए पैदल 7-8 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है, 14 कि.मी.की दूरी पर गादीरास है, जहां पहुंचने बहुत कठिनाई होती है। गाँव में यातायात के साधनों के अभाव में शहरों से बिलकुल कटे हुए हैं।

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
ग्रामीण जोगा व हिडमा ने बताया- हमें 8-9 साल हो गया, इसी पुल  से खेती कार्य, बच्चे को स्कूल व स्वास्थ्य लाभ के लिए इसी पुल से नदी पार करने को मजबूर हैं। हमारे शादी विवाह व त्यौहारों में उस पार बसे गाँव तक पहुंचने, इसी पुल के सहारा लेते। हमें राशन और किराना समान भी यही से पार कर लाना पड़ता है। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन जिम्मेदार हमारी एक भी नहीं सुनता। पिछले साल एक मौत भी हो चुकी है, फिर भी कोई ध्यान नहीं देता।

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