बालोद

जीवनदायिनी तांदुला को संवारने बनी कार्ययोजना
13-Dec-2022 3:11 PM
जीवनदायिनी तांदुला को संवारने बनी कार्ययोजना

पर्यटन स्थल के रूप में किया जाएगा विकसित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद,13 दिसंबर।
बालोद जिले का तांदुला जलाशय जिसे पूरे प्रदेश में जीवनदायिनी जलाशय के नाम से जाना जाता है, यहां के जल का उपयोग बालोद जिला ही नहीं अपितु आसपास के 3 जिले की जनता करती है, परंतु निर्माण के बाद से ही संवारने के विषय को लेकर यह जलाशय काफी उपेक्षित रहा, लेकिन जब से बालोद जिले में कलेक्टर के रूप में कुलदीप शर्मा ने अपना पदभार सम्हाला है तभी से उन्होंने इसे संवारने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने तांदुला के लिए रोडमैप तैयार किया है, और स्वयं निरीक्षण कर इसे जीवंत करने का प्रयास कर रहे हैं।

कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने बताया कि तांदुला जलाशय बालोद जिले के लिए एक संजीवनी है। जल संसाधन को संवारना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यहां पर जलाशय को संवारने प्लानिंग की जा रही है, यहां झोपड़ी बनाए जाएंगे टेंट हाउस बनाए जाएंगे और प्रोपर पार्किंग व्यवस्था की जाएगी, यहां पर ईको फ्रेंडली पार्क में फूड गार्डन, प्लेग्राउण्ड, रेस्टोरेंट, बोटिंग की सुविधा, पाथवे निर्माण, वॉच टावर, हाईमास्ट एवं सोलर लाईट लगाने के कार्य, कॉटेज आदि का निर्माण कर यहां आने वाले सैलानियों को बेहतर से बेहतर सुविधा एवं परिवेश प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा।

पर्यटन का मिले लाभ
कलेक्टर ने कहा कि जो भी प्लान बनाए गए हैं, उसे जल्द ही क्रियान्वयन में लाया जाएगा हम लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं और हमने निरीक्षण भी किया है। उन्होंने कहा कि जब यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो जाएगा तो बालोद जिला ही नहीं अपितु आसपास के जिले एवं पूरे प्रदेश में तांदुला जलाशय को एक अलग पहचान मिल पाएगी।

वर्ष 2012 में शताब्दी समारोह
जिले की जनता यह चाहती है कि तांदुला का नाम जीवंत हो जाए और यहां पर विभिन्न आयोजन भी होने चाहिए 1912 में इस बांध का निर्माण हुआ था, और वर्ष 2012 में इसका शताब्दी समारोह मनाया गया था।
इस समय यह बात उठी थी कि इसे एक बेहतरीन प्रोजेक्ट के रूप में सामने लाया जाए और यहां पर विभिन्न आयोजन प्रतिवर्ष होने चाहिए ताकि लोग इसका इतिहास जाने।

तांदुला - एक परिचय
तांदुला जलाशय तांदुला नदी और सूखा नाला के संगम पर बालोद जिले में स्थित छत्तीसगढ़ की पहली नदी परियोजना है। इसका निर्माण ब्रिटिश अभियंता एडम स्मिथ के मार्गदर्शन में साल 1905 से 1912 के बीच पूरा हुआ। वर्ष 1912 में तांदुला जलाशय का निर्माण हुआ। साल 2012 में तांदुला जलाशय का शताब्दी समारोह मनाया गया। तांदुला बांध की अधिकतम ऊंचाई 24.53 मीटर और लंबाई 2906.43 मीटर है। बांध के दो सहायक बांधों की ऊंचाई 6.61 मीटर और 2.83 मीटर है। वहीं लंबाई 668.42 और 426.70 मीटर है। जलाशय से आस-पास के करीब 23,001 हेक्टेयर कृषि जमीन की सिंचाई हो पाती है।
 

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