बस्तर

धर्मांतरण एवं लव जिहाद विरोधी कठोर कानून तत्काल लागू करे राज्य सरकार- सपन
07-Jan-2023 9:52 PM
धर्मांतरण एवं लव जिहाद  विरोधी कठोर कानून तत्काल  लागू करे राज्य सरकार- सपन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 7 जनवरी।  अवैध धर्मांतरण से छत्तीसगढ़ में विशेषकर अनुसूचित जनजाति समाज में तनाव बढ़ रहा है। इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि छत्तीसगढ़ में लालच,धोखे, विवाह या भय से धर्मांतरण नहीं होना चाहिए।

भाजपा विधि प्रकोष्ठ के बस्तर जिला संयोजक सपन देवांगन ने  विज्ञप्ति जारी कर छत्तीसगढ़ में बढ़ती ईसाई मिशनरियों द्वारा अवैध धर्मांतरण की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि जिन प्रदेशों में अवैध धर्मांतरण के विरुद्ध कठोर कानून हैं और उनका पालन हो रहा है , वहां की स्थितियां थोड़ी संभली हैं । छत्तीसगढ़ की घटनाओं से अवैध धर्मांतरण को रोकने हेतु राज्य में एक कठोर कानून की आवश्यकता है।

अवैध धर्मांतरण व लव जिहाद के मामले छत्तीसगढ़ प्रदेश में बढ़ रहा है, इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। अवैध धर्मांतरण को रोकने के सभी प्रयत्न संविधान के दायरे में कठोर कानून बनाकर ही किया जा सकता है।

सरकार और स्थानीय प्रशासन को मिशनरियों की बजाय, अपने जनजाति समाज के साथ खड़ा होना चाहिए। जिस प्रकार जनजाति समाज की रीति-रिवाजों , परंपराओं, मान्यताओं व देवी देवताओं का अपमान व उपहास इन ईसाई मिशनरियों द्वारा उड़ाया जा रहा है तथा जनजाति के अस्तित्व को समाप्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, उसे अब और नहीं सहा जाएगा। राज्य सरकार को इस विषय को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कदम उठाए जाने चाहिए।

सुकमा एसपी की धर्मांतरण के संबंध में जारी पत्र को सरकार यदि गंभीरतापूर्वक लेती तो पूरे छत्तीसगढ़ बस्तर संभाग सहित नारायणपुर के भोलेभाले समाज को सडक़ों पर नहीं आना पड़ता । जनजाति समाज के हितों की रक्षा करना राज्य सरकार का परम कर्तव्य है ।

तत्कालिक एसपी सुकमा की आशंका सही साबित हुई, अपने अधीनस्थ अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा था कि स्थानीय आदिवासियों को बहला फुसला कर धर्मांतरण किया जा रहा है। ईसाई मिशनरी धर्म परिवर्तन के लिए आदिवासियों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं। भविष्य में स्थानीय आदिवासी और धर्म परिवर्तित आदिवासियों को लेकर आपस में टकराव की आशंका जताई थी।

आगे देवांगन ने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट ने एक बड़े फैसले में कहा कि कोई व्यक्ति धर्म बदलने के बाद जाति के आधार पर आरक्षण का दावा नहीं कर सकता।

धर्म बदलने का मतलब है कि वह जाति व्यवस्था को नहीं मानता और तब उसका उस जाति से कोई नाता नहीं रह जाता, जिसमें वह पैदा हुआ था।

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