बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 6 मार्च। बालोद जिले में एक बार फिर महिला कमांडो की तगड़ी दस्तक होने जा रही है गांव की गलियों में जहां महिलाओं की खनक मासूमों को अपनेपन का एहसास दिल आएगी तो वहीं उनकी सीटियों एवं डंडे की धमक अपराधियों को भाग खड़े होने पर मजबूर करेगी।
बालोद सिटी कोतवाली परिसर में आज सैकड़ों महिला कमांडों की बैठक जिला पुलिस अधीक्षक ने ली। कोरोना वायरस के संक्रमण काल के बाद महिलाएं जो कि गस्त कर अपराध रोकने एवं सामाजिक जागरूकता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी, उनका काम मानव शिथिल हो गया था। मिशन पूर्ण शक्ति के तहत उनके कार्य को फिर शुरू किया गया है। पुलिस विभाग ने महिलाओं के सर पर अपना हाथ रखा है, और उनके आर्थिक सामाजिक विकास के लिए आश्वासन भी दिया है।
चमकते सितारे की तरह महिला कमांडो
बालोद जिला पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने इस अवसर पर कहा कि जिले की महिला कमांडो चमकते सितारे की तरह है, जो विगत 15 साल से सामाजिक दायित्व निभाते हुए कर्मठ रूप से कार्यरत है। समाज में निस्वार्थ रूप में बहुत कुछ इन्होंने दिया है।
उन्होंने अपने बचपन की घटना बताते हुए कहा कि मैं भी जशपुर जिले के एक छोटे से गांव से आता हूं। उस समय पढ़ाई में आम लोगों में कम ही दिलचस्पी रहती थी, लेकिन मुझे मेरी मां ने भरपुर सपोर्ट किया जिसकी बदौलत आज मैं इस स्थान पर हूं। यदि महिलाएं ठान ले तो परिवर्तन अवश्य ही लाया जा सकता है। पुरुषों में बहुत कुछ फोकस होता है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा महिलाएं आगे पीछे सभी दृष्टिकोण को देखते हुए कार्य करती है। दोनों में बहुत अंतर है महिलाएं एक के बारे में नही अनेक रिश्तो के बारे में सोचती हैं।
देखने को मिला परिवर्तन
पिछले 10-15 सालों में यहां उपस्थित महिला कमांडो ने बताया कि बालोद में बहुत ही परिवर्तन देखने को मिला है और जो कि मैं आज साक्षात देख भी रहा हूं। महिला कमांडो आज समाज का दायित्व बखूबी से निभा रही है, सरकार की योजना भी कार्यरत करवाने में इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा कि विभिन्न अपराधों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। यदि महिलाओं ने ठान लिया है तो वे जरूर अच्छा कार्य करेगी व अपराधों में भी कमी आएगी अब अपराधी को सजा मिलना बहुत ही जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहे।
उन्होंने बताया कि कंट्रोल रूम 24 घंटे कार्यरत है इसके अलावा महिला कमांडो थाना प्रभारी से बेहिचक संपर्क कर सकते है। पिछले दिनों गुंडरदेही में भी सभा हुई थी जहां पर संबंधित सभी पुलिस थानों में निर्देश दिया गया था कि महिला कमांडो की शिकायतों को सुने व मैं व्यक्तिगत भी मानिटरिंग कर रहा हूं।
पद्मश्री विजेता व बालोद जिले की शान गुंडरदेही की शमशाद बेगम ने महिला कमांडो को संबोधित करते हुए कहा कि नारी शक्ति, मातृशक्ति की बदौलत आज हम सब इस मुकाम पर हैं। दुर्ग जिले में सन 1990 में साक्षरता समूह से कार्य करते हुए महिलाओं के लिए निरंतर प्रेरित करें ऐसा सफर प्रारंभ है। महिला कमांडो सामाजिक बुराइयों के लडऩे हेतु निरंतर अग्रसर है.. बालोद जिले में लगभग 12500 कमांडो व पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग 65 हजार महिला कमांडो निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य शांति कायम करना है कानून हाथ में नहीं लेना है। पुलिस व जनता का सहयोग से ही महिला कमांडो कार्यरत है। प्रशिक्षण भी हो रहा है।
उन्होंने महिला कमांडो से कहा कि वे सेवा के काम के रूप में कार्य करें स्वयं सेविका के रूप में काम करें ..लॉकडाउन के दौरान भी महिला कमांडो ने अच्छा कार्य किया यह जीवन में एक अभिभूत है, जो अच्छी इंसानियत की राह दिखा रहा है।
अनुविभागीय अधिकारी पुलिस बालोद प्रतीक चतुर्वेदी ने कहा कि यहां पर मैंने अब तक देखा कि शिक्षा, सुरक्षा , सामाजिक सुधार पर पूरा फोकस किया जा रहा है, जो पुलिस व जनता के प्रति एक अच्छी सोच पर यह महिला कमांडो कार्यरत है।
सामाजिक कार्यकर्ता रशीद खान ने कहा कि बालोद पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव का विशेष प्रेम देखने को मिला जो कि यह सभी मीटिंग को बाहर नहीं करा कर थाना परिसर में करा रहे हैं। यहां पर महिला कमांडो को भरपूर सम्मान मिल रहा है। यह सम्मान अति महत्वपूर्ण है।
उन्होंने पुलिस की भूमिका पर भी जबरदस्त तारीफ करते हुए कहा कि काम करने में आनंद आ रहा है व महिला कमांडो निरंतर अपने कार्य में आगे बढ़ रहे हैं डीएसपी गीता माघवानी ने भी महिला कमांडो को अभिव्यक्ति ऐप के बारे में जानकारी दी।