बालोद

पृथ्वी दिवस पर आदिवासी समाज ने प्रकृति संरक्षण को लेकर भरी हुंकार
22-Apr-2023 2:42 PM
पृथ्वी दिवस पर आदिवासी समाज ने प्रकृति संरक्षण को लेकर भरी हुंकार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बालोद, 22 अप्रैल। बालोद जिले के वनांचल क्षेत्र तुएंगोंदी के जंगलों के बीच सर्व आदिवासी समाज द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर सामाजिक लोगों के बीच प्रकृति के प्रति जागरूकता लाने एवं जल जंगल की जमीन की लड़ाई मिलकर लडऩे के आह्वान के साथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सहित सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश पदाधिकारी एवं जिले के पदाधिकारी शामिल हुए।

इसमें यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक परिवारों द्वारा अपने अपने घरों में अपने मनपसंद के पांच पौधे लगाए जाएंगे, साथ ही उक्त आयोजन में महवा के माला से अतिथियों का स्वागत किया गया।

सीएम-मंत्रियों मपर साधा निशाना

सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे ने कहा कि पृथ्वी दिवस को हम आदिवासी लोग माटी पूजा के रूप में मनाते हैं, हम इसी में जन्म लिया और इसी में खाक हो जाएंगे। उन्होंने प्रदेश के मंत्री एवं मुख्यमंत्री पर निशाना साधा और कहा कि यहां के लोग कहते हैं कि एक जंगल नहीं कटेगा, एक डाली नहीं काटी थी ऐसा कहते-कहते हसदेव काट डालते हैं। साथ ही उन्होंने पुलिस प्रशासन सहित बाहरी लोगों पर धावा बोलते हुए कहा कि बाहर से आए लोग यहां पर जल जंगल जमीन का दोहन कर रहे हैं और बेतहाशा लकड़ी की कटाई की जा रही है। प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग किया जा रहा है ऐसे में हम उज्जवल भविष्य की कल्पना कैसे कर सकते हैं, इसीलिए हमने विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का संकल्प लिया है और कई सारे नियम इस आयोजन के माध्यम से बनाए जाएंगे जो कि जनहित एवं पृथ्वी संरक्षण पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा रहेगा।

प्रदेश में बालोद से शुरुआत

सर्व आदिवासी समाज महिला विंग के अध्यक्ष संतोषी ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बालोद जिले से आज पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत हो रही है, समाज के बीच हम एक बेहतर परिभाषा प्रकृति संरक्षण को लेकर जाएंगे। प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष ने भी कहा कि इसके बाद हम बस्तर का दौरा करेंगे। सरगुजा का दौरा करेंगे और शासन प्रशासन के खिलाफ जल जंगल जमीन की लड़ाई लडऩे अब हम पीछे नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन हमारी बातों को नहीं सुनता यहां तो थानों में लकड़ी की कार्रवाई की जाती है आईजी रेंज के अधिकारी लकड़ी के कामों में लिप्त पाए जाते हैं आखिर कहां तक यहां पर जल जंगल और जमीन का संरक्षण हो रहा है।

आदिवासी संस्कृति की बिखरी छटा

विश्व पृथ्वी दिवस एक पठार में मनाया गया यहां पर आदिवासी सभ्यता की झलक देखने को मिली आदिवासी समाज द्वारा सभी आराध्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गई। भीमराव अंबेडकर की भी पूजा अर्चना की गई। पारंपरिक रेला पाटा नृत्य की प्रस्तुति दी गई, साथ ही अन्य सभ्यताएं जो आदिवासी समाज रखता है उनका प्रदर्शन किया गया।

पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर ने कहा कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ के बस्तर का जंगल अपनी एक अलग पहचान रखता है सरकार एवं प्रशासन की नाकामियों के चलते यह सब अब घटता जा रहा है। इस दौरान यू. आर. गंगराले छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के संयोजक सहित पूरी टीम व सैकड़ों आदिवासी मौजूद रहे।

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