बालोद

आदिवासी सपेरों की बस्ती पर ग्रामीणों का हमला, बर्तन फेंके, छप्पर गिराए, बारिश में गुजारी रात
22-Apr-2023 2:43 PM
आदिवासी सपेरों की बस्ती पर ग्रामीणों का हमला, बर्तन फेंके, छप्पर गिराए, बारिश में गुजारी रात

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बालोद, 22 अप्रैल। बालोद जिले के वनांचल विकासखंड डौंडीलोहारा के ग्राम पंचायत चिखली के आश्रित केरी जुंगेरा में बीते 8 से 10 वर्षों से निवास कर रहे आदिवासी सपेरों की बस्ती को उजाडऩे का मामला सामने आया है।

बीती रात अंचल में मूसलाधार बारिश एवं ओले गिरे, जिसके कारण इन परिवारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आनन-फानन में उन्होंने कच्चे छप्पर बनाए और जैसे-तैसे गुजारा किया। सपेरों की बस्ती में जब हम पहुंचे तो वहां के पीडि़त परिवारों ने बताया कि हम लोग यहां पर आज से 10 वर्ष पहले आकर बसे हुए हैं। ग्रामीणों ने ही रजामंदी दी थी, परंतु सोमवार अचानक गांव की महिलाएं एवं पुरुष आए और घरों को तोडऩे लगे। इसके बाद हमने कलेक्टर जनदर्शन में जाकर भी शिकायत दर्ज कराई थी।

 जांच में पहुंची टीम

डौंडीलोहारा के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मनोज मरकाम ने जानकारी दी कि तहसीलदार मौके पर जांच के लिए शुक्रवार को गए हुए थे, जिसके कारण यहां पर जांच रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को समझाइश दी गई है कि जो छप्पर उखाड़े गए हैं, घरों को जो नुकसान पहुंचाया गया है, उन सभी की भरपाई तो नहीं अपितु पुन: उसे सुधारा जाए ताकि आपसी सामंजस्य बना रहे, वहीं पूरे मामले पर जब ‘छत्तीसगढ़’ ने वहां के सरपंच आशा देवी के काम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं इस संदर्भ में कुछ नहीं जानती। उन्होंने कहा कि पूरा मामला ग्रामीणों से जुड़ा हुआ है। ग्रामीणों के विषय में मैं कुछ नहीं कहना चाहती।

बर्तन फेंके, दुकान पानी सब बंद

सपेरे की बस्ती से केंवरा बाई ने बताया कि हम लोग यहां इतने वर्षों से निवास कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई परेशानी नहीं आई है, परंतु अचानक क्या हुआ कि ग्रामीण इतने आक्रोशित हो गए। उन्हें यह तरस भी नहीं आया कि हमारे परिवारों में भी मासूम बच्चे हैं।

उन्होंने कहा कि हम 17 लोग पहले घूम-घूमकर जीवन यापन करते थे, कुछ लोगों ने हमें यहां रहने की सलाह दी, तब से हम यही पर रह रहे हैं और किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। जल जंगल जमीन का ख्याल रखते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने दुकान से सामान देना साथ ही पानी देना भी बंद कर दिया है जीते जी हम नरक के जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं।

बारिश से हुई समस्या

सपेरों ने बताया कि बीती रात को तेज गरज चमक के साथ बारिश हुई, साथ ही ओले भी गिरे, जिसके कारण टूटे हुए घरों में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आधी रात को हमने जैसे-तैसे कच्चे छप्पर बनाएं और रात गुजारी। आगे यदि कोई विवाद न हो तो हम अपने छप्पर पक्के कर लेते, परंतु अब तक तो कोई ठोस जानकारी हमारे पास नहीं आई है कि हमें यहां रहना है कि यहां से जाना है या फिर यह विवाद चलता रहेगा।

बहरहाल, मामला चाहे जो भी हो, लेकिन किसी को नियम विरुद्ध घरों में तोडफ़ोड़ करने का अधिकार नहीं है।

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