बिलासपुर
उत्कल समाज को एक माह का वेतन देने की घोषणा की
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 21जून। रेलवे परिक्षेत्र स्थित जगन्नाथ मंदिर से परंपरा के अनुरूप रथ यात्रा निकली। मान्यता अनुसार स्नान पूर्णिमा पर 108 कलश जल से भगवान जगन्नाथ देवी सुभद्रा और बलदाऊ के स्नान करने के बाद ऐसी मान्यता है कि तीनों प्रभु बीमार पड़ गए थे, जिसके बाद से मंदिर के कपाट बंद कर आयुर्वेदिक पद्धति से काढ़ा दवा एवं सुपाच्य भोजन से उनका उपचार किया गया। 15 दिन उपचार के बाद तीनों स्वस्थ हुए तो फिर मंदिर में नेत्र उत्सव और नवजोबन उत्सव मनाया गया। प्राचीन कथा अनुसार स्नान पूर्णिमा पर अस्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा कमजोर हो गए हैं इसलिए वे अपनी मौसी के बुलावे पर उनके घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं इस यात्रा को रथ यात्रा कहा जाता है।
विशिष्ट वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रथ पर सवार हुए। भगवान के आगे-आगे उनके मार्ग को निष्कंटक करने की भावना के साथ विधायक शैलेष पांडेय ने छेर पहरा की परंपरा का पालन करते हुए मार्ग में झाड़ू लगाया। इसके बाद प्रतिमाओं को रथ पर सवार कराया गया। यहां विधायक शैलेष पांडेय एवं उनकी धर्मपत्नी ऋतु पांडेय और अन्य गणमान्य अतिथियों ने पूजा अर्चना की।
नगर विधायक शैलेष पांडेय ने ऐतिहासिक परंपरा बताते हुए कहा कि उन्होंने भगवान जगन्नाथ से पूरे बिलासपुर वासियों के लिए सुख समृद्धि शांति उनके अच्छे स्वास्थ्य सफलता की कामना की है। उन्होंने जगन्नाथ पूजा समिति उत्कल समाज को 1 माह का वेतन देने की घोषणा की।