बेमेतरा
जिले में सबसे अधिक स्वर्णा धान की फसल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 15 अक्टूबर। जिले में संयुक्त टीम द्वारा तैयार किए गए गिरदावरी रिपोर्ट में खरीफ सीजन के दौरान दो लाख से अधिक हेक्टेयर में धान का फसल लिया जाना पाया गया है। जिले में कृषि विभाग द्वारा 1 लाख 91 हजार हेक्टेयर में धान का फसल का रकबा का लक्ष्य तय किया गया था। जिले में गत खरीफ सीजन व लक्ष्य से भी अधिक रकबा में धान की पैदावारी किया जा रही है। जिले में सबसे अधिक स्वर्णा धान का फसल किसान ले रहे हैं।
जानकारी हो कि खरीफ फसल सीजन के दौरान किसानों द्वारा लिये जा रहे फसल का संयुक्त विभाग की टीम द्वारा गिरदावरी रिपोर्ट तैयार किया गया है। सामने आए गिरदावरी रिपोर्ट के अनुसार जिले में इस बार 200376 हेक्टेयर में धान की पैदावारी, 2800 हेक्टेयर में अरहर की पैदावरी, 2880 हेक्टेयर में सोयाबीन की पैदावारी, 3120 हेक्टेयर में कोदो की पैदावारी, 814 हेक्टेयर में मुंगफली की पैदावारी, 2877 हेक्टेयर में कपास की पैदावारी और 3220 हेक्टेयर में सांग सब्जी की पैदावारी होना दर्शाया गया है।
इससे पूर्व कृषि विभाग द्वारा जिले में 1,99483 हेक्टेयर में धान, 4222 हेक्टेयर में कोदो कुटकी, 1860 हेक्टेयर में सोयाबीन,अरहर की खेती 3265 हेक्टेयर, 1250 हेक्टेयर में मुंगफली, कपास की खेती 3250 हेक्टेयर, गन्ना की खेती 4560 हेक्टेयर में एवं 5046 हेक्टेयर में सांग सब्जी की खेती किये जाने का ब्यौरा तैयार कर उच्च कार्यालय को भेजा गया था । अब जब विभिन्न विभाग द्वारा साझा तौर पर तैयार किए गए रिपोर्ट सामने आई तो एक-दो फसल का रकबा अन्य फसलों के रकबा में अंतर पाया गया है।
धान का रकबा कम करने का प्रयास
जिला मुख्य तौर पर धान उत्पादक रहा है। इस बार भी दो लाख से अधिक रकबा में धान की पैदावारी किसान कर रहे हैं। जिले में बिते तीन सत्र से धान के बजाए दीगर फसल लेने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है पर किसानों द्वारा कम रूचि दिखाये जाने की वजह से कृषि विभाग का प्रयास कमजोर साबित होते जा रहा है। जिले में खरीफ सीजन के दौरान पूर्व सीजन के दौरान किसानों के द्वारा लिये गये धान के कुल 1 लाख 99 हजार 222 हेक्टर के रकबा से कम कर धान के रकबा को 191190 हेक्टेयर में समेटने के लिए कार्ययोजना तैयार कर जिले में सुंगधित धान, जिंक धान, मक्का, कोदो कुटकी, रांगी, 3777 हेक्टेयर तक पहुंचाना था। दलहन फसलों में अरहर, उड़द, मूंग और कुल्थी की खेती धान के बदले 1418 हेक्टेयर में, तिलहन किस्म में तिल, रामतिल, सोयाबीन और मुंगफली को बढ़ावा देकर करीब 2348 हेक्टेयर में धान के विकल्प के तौर पर फसल लेने के लिए किसानों को प्रेरित कर सहमति लिया गया था। इसके आलावा 302 हेक्टेयर में गन्ना व 11447 हेक्टेयर में उदयानिकी फसल को धान के विकल्प बनाया जाना था।
जिले में 19282 हेक्टेयर में धान के बदले अन्य वैकल्पिक फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए कार्यक्रम तैयार किया गया था। जिले में 19282 हेक्टेयर में दीगर फसल लेने के लिए 2313 किसानों से सहमति लिया गया था पर खरीफ फसल सीजन के दौरान सहमति देने वाले 2313 किसानों में से केवल 1141 किसानों ने धान के बदले 846 हेक्टेयर से कुछ अधिक रकबा मेें अन्य फसल लिया है।
जल्द पकने वाले धान की कटाई शुरू
जिले में पूर्व में बोए गए कम अवधि वाले धान की कटाई व मिसाई का काम शुरू हो गया है। ग्राम बिरनपुर निवासी काशी राजपूत व ग्राम सिंधपुरी के किसान संतोष वर्मा ने बताया अब धान का कटना शुरू हो गया है। कम अवधि वाले धान पककर तैयार हो चुका है। बताया गया कि जिले के 60 फीसदी रकबा में स्वर्णा व 40 फीसदी में महामाया व अन्य धान की फसल लिया जा रहा है।
गिरदावरी रिपोर्ट के अनुसार जिले में फसल का रकबा
200376 हेक्टेयर में धान, 2800 हेक्टेयर में अरहर, 2880 हेक्टेयर में सोयाबीन, 3120 हेक्टेयर में कोदो, 814 हेक्टेयर में मूंगफली, 2877 हेक्टेयर में कपास व 3220 हेक्टेयर में साग-सब्जी।