बेमेतरा
नवमी पर जस सेवा के साथ ज्योत विसर्जित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 23 अक्टूबर। देवी मंदिरों व दुर्गा पंडालों सहित नगर के सिद्ध शक्तिपीठों में रविवार को महाष्टमी में हवन पूजन किया गया। आचार्यों ने मंत्रों के उच्चारण के साथ यज्ञ में आहुति समर्पित की। अष्टमी पर मंदिरों में दर्शन करने वालों का तांता लगा रहा। सुदूर अंचल से देवी दर्शन के लिए देर रात तक पहुंचते रहे। नवमी पर शहर के मंदिरों में प्रज्ज्वलित मनोकामना ज्योत को जस सेवा के साथ विसर्जित की गई।
अष्टमी पर शहर में महामाया मंदिर, माता भद्रकाली सिद्धपीठ, सिद्ध शक्तिपीठ माता शीतला मंदिर में आचार्य द्वारा विधि-विधान से हवन पूजा कराई गई। बुचीपुर मंदिर में कन्या पूजा व प्रसाद वितरण किया गया। साथ ही नगर के नया बस स्टैण्ड में युवा शक्ति द्वारा स्थापित दुर्गा पंडाल में भी पंडित विकास शर्मा ने हवन पूजन किया। समिति के सदस्यों के द्वारा यज्ञ में आहुति डाली गई। किसान भवन में एकता दुर्गात्सव समिति पंडाल बेसिक स्कू ल मैदान के पास, सिन्धी कॉलोनी, नयापारा व अन्य पंडालों में हवन पूजन हुआ।
आस्था केन्द्रों में उमड़े श्रद्धालु
महाष्टमी के पावन दिन नगर में मां भद्रकाली मंदिर, मां महामाया मंदिर, मां कालिका मंदिर, मां शीतला मंदिर सहित सभी माता मंदिरों में अष्टमी हवन अनुष्ठान के बाद महाआरती में शामिल होने बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। भक्तों ने अपनी सुख समृद्धि व शांति की कामना को लेकर माता की विशेष पूजा- अर्चना की। पर्व में जिन भक्तों ने अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित कराई, वे जोत दर्शन के लिए मंदिर पहुंचे।
कन्या पूजन विधि पूर्वक कर लिया आशीर्वाद , उपहार भी दिए
पं. श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि देवीपूजन में कन्याएं प्रत्यक्ष देवी मानी गई हैं, जिसके पालन में भोजन, वस्त्र व आभूषण आदि से उनकी पूजा प्राचीन काल से की जाती रही है। कुमारी की उम्र नाम पूजा का फ ल माना गया है। अष्टमी पर पूर्णाहुति होने के बाद नौ कन्या भोज कराया गया। नौ कन्या भोज के लिए मंदिरों व घरों के आसपास छोटे बच्चों की पूछ परख बढ़ गई। कई लोगों को छोटी बच्चियों को भोजन कराने के लिए ढूंढते हुए मशक्कत करनी पड़ी। सभी बच्चों को खीर, पूड़ी, हलवा के साथ भोजन कराया गया। इसके बाद सबको श्रृंगार सामग्री के साथ पैसे व श्रीफल भी दिए गए।
जोत जंवारा का विसर्जन
नवरात्र की नवमी तिथि पर मंदिर स्थल से नौ दिनों तक स्थापित किए गए जोत जंवारा का सोमवार को विसर्जन हुआा।