बलौदा बाजार

बिलाईगढ़ विस में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार, कांग्रेस-भाजपा के जीत में हाथी बना बाधा
11-Nov-2023 2:35 PM
बिलाईगढ़ विस में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार, कांग्रेस-भाजपा के जीत में हाथी बना बाधा

दोनों पार्टियों में गुटबाजी का लाभ हाथी को

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सरसीवां-बिलाईगढ़, 11 नवंबर।
दो जिला में विभाजित बिलाईगढ़ विधानसभा में कांग्रेस एवं भाजपा में बगावत एवं गुटबाजी के कारण हाथी दौड़ता हुआ नजर आ रहा है, साथ ही बसपा प्रत्याशी श्याम टंडन के पक्ष में सहानुभूति के चलते त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन गई है।

भाजपा से बिलाईगढ़ मंडल के कद्दावर नेता सियाराम कहार एवं दीपक सिंघानिया के पार्टी छोडऩे से कमजोर दिख रहा है, वहीं भाजपा से  टिकट नहीं  मिलने से  गिरौदपुरी अंचल के प्रोफेसर ब्रम्हानंद मार्कण्डेय द्वारा जोगी कांग्रेस से प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में कूदने से  गिरौदपूरी,  गिधौरी, टुंड्रा के साथ-साथ वनांचल मंडल बया में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

भाजपा प्रत्याशी डॉ. दिनेश लाल जांगड़े जो कि डेढ़ वर्ष पूर्व ही पार्टी से जुड़े हैं जो कि राजनीति में पहली बार कदम रखे हैं, भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, जिसके कारण अन्य दावेदारों के साथ ही वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिल रहा है।

इसी तरह कांग्रेस से वर्तमान में रहे विधायक चंद्रदेव राय का टिकट काटने से उनके समर्थक भी कांग्रेस प्रत्याशी कविता प्राण लहरे के पक्ष खुल कर समर्थन करते नहीं दिख रहे हैं। साथ ही सरसींवा अंचल के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता लक्ष्मीकांत पांडेय के पार्टी छोडऩे पर कार्यकर्ताओं को जोश नहीं दिख रहा है।

कांग्रेस प्रत्याशी  कविता प्राण लहरे जोकि वर्तमान में जिला पंचायत की सभापति हैं, जिसके कारण पूरे विधानसभा के चप्पे-चप्पे को जानती है और क्षेत्रवासी अच्छी तरह जानते हैं, इस कारण से परिचय की मोहताज नहीं है, पर भाजपा प्रत्याशी भी स्थानीय हैं। दोनों प्रत्याशियों के घर सरसीवां से 9 किमी दूर  ग्राम पंचायत कोसमकुंडा के है, पर डॉ. दिनेश का  अस्पताल रायपुर में होने के कारण क्षेत्र के लोगों को उपचार हेतु मेल मुलाकात होने से पूर्व परिचय भी है।

यह बिलाईगढ़ सीट जो कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, पर परिसीमन के बाद जहां भाजपा मजबूत हुई है, वहीं बसपा ने भी अपना वोट बैंक बढ़ाया है। यहाँ वर्तमान में कांग्रेस के विधायक चंद्रदेव राय विधायक थे, जिनके द्वारा क्षेत्र में भारी संख्या में विकास कार्य करवाये गए हैं, पर सत्ता संगठन एवं वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में सामंजस्य नहीं होने के कारण टिकट से हाथ धोना पड़ा ।

वहीं दूसरी ओर बसपा प्रत्याशी श्याम टंडन पर पार्टी ने एक बार पुन: विश्वास व्यक्त करते हुए चुनावी जंग में उतार दिया है । बसपा ने यहाँ महीनों पूर्व प्रत्याशी घोषित कर दिए थे, जिसका फायदा प्रत्याशी को मिलता दिख रहा है, वहीं बसपा प्रत्याशी का लगातार इस सीट पर तीसरा चुनाव है, जिसके कारण से ग्रामीण मतदाताओं में बसपा प्रत्याशी के पक्ष में सहानुभूति दिख रही है, जिसका लाभ श्याम टंडन को मिलने पर बाजी पलट सकती है।

यहां वर्तमान में तीनों ही प्रमुख दलों में संघर्ष की स्थिति है और मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है। भाजपा एवं कांग्रेस में गुटबाजी एवं बगावत के चलते दोनों ही दल नुकसान की स्थिति में है, जिसका  फायदा उठाते हुए बसपा प्रत्याशी डॉ. श्याम टंडन का हाथी बढ़ता हुआ दिख रहा है।

वैसे दिनों दिन कांग्रेस अपनी स्थिति सुधारते चली जा रही है, रात 10 बजे तक दर्जनों गांव जाकर तेज गति  से प्रचार कर मतदाताओं से भेंट मुलाकात कर रही है।

 

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