खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
ब्राजील में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गंडई, 15 नवंबर। अराकाजू ब्राजील में 8 से 11 नवंबर तक मुनगा पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें रानी अवंतीबाई लोधी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र छुईखदान में कार्यरत सब्जी विज्ञान के सह प्राध्यापक डॉ. बीएस असाटी ने मुनगा पर दो शोध पत्र प्रस्तुत किए।
डॉ. असाटी गत 12 वर्षों से मुनगा पर अनुसंधान कर रहे हैं। इस संगोष्ठी में दूसरा प्रस्तुतिकरण डॉ. असाटी द्वारा मुनगा पत्तियों की अधिकतम उपज और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए रोपण ज्यामिति के प्रभाव का अध्ययन के बारे में किया गया। सम्मेलन में चीन, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, आर्मेनिया, फिलीपींस, ब्राजील, मिस्र आदि देशों से आए वैज्ञानिकों ने इसकी सराहना की।
डॉ. असाटी ने बताया कि मुनगे की पत्तियों में पाए जाने वाले क्वेरसेटिन और क्लोरोजेनिक एसिड से ब्लड शर्करा को नियंत्रित किया जा सकता है। यह चाय इंसुलिन को कंट्रोल करने में भी मददगार है। इसके अलावा इसमें फिनॉल कंटेंट, एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉयड्स, टेनन, बीटाकरोटिन, कैल्शियम आदि तत्व पाए जाते हैं। यह सभी मिलकर एक पॉवरफुल इम्युनिटी सिस्टम बनाते हैं, जो बॉडी के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। प्रतिदिन मोरिंगा चाय पीने से ताजगी और स्फूर्ति, ब्लड प्रेशर कंट्रोल, बेहतर पाचन तंत्र, त्वचा में निखार एवं चर्बी कम होती है।
मुनगा की खेती के प्रति जागरूकता लाने प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को अंतरराष्ट्रीय मुनगा दिवस मनाने की शुरूआत हुई है। इसका उद्देश्य लोगों एवं किसानों के प्रति मुनगा की उपयोगिता, महत्व एवं उन्नत खेती का प्रचार-प्रसार करना है। जिससे किसान गुणवत्ता उत्पादन के साथ-साथ मार्केटिंग एवं प्रस्संकरण की जानकारी प्राप्त कर सके।
इस दिवस के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य के ग्राम नवागांव, भर्रेगांव, धामनसरा, ढोलपिट्टा, नाथूनवांगांव एवं मोहड़ में मुनगा की उन्नत किस्मों के हजारों की संख्या में पौधे लगवाकर एवं तकनीक का फैलाव कर मुनगा गांव विकसित किया है।