खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 28 मार्च। कला एवं ललित कला को समर्पित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के मूल्यांकन में फिसड्डी साबित हुआ है। विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति के कार्यकाल में 2014 में इस विश्वविद्यालय को ए ग्रेड प्राप्त हुआ था, किंतु हाल ही में नैक द्वारा किए गए मूल्यांकन में विश्वविद्यालय को सी ग्रेड मिला है, जो विश्वविद्यालय की दयनीय स्थिति को दर्शाता है।
पूर्व कुलपति के कार्यकाल में बेहतरीन शिक्षण व्यवस्था को लेकर प्रदेश में अलग पहचान बनाने वाली इंदिरा कला संगीत विद्यालय इस बार नैक मूल्यांकन में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया। नैक की पांच सदस्य टीम विश्वविद्यालय का अवलोकन करने 12 मार्च को विश्वविद्यालय में पधारे थे तथा 14 मार्च तक विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, कार्यालयों एवं स्थल का अवलोकन निरीक्षण किया गया, लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा अगले 5 साल तक संस्था को भुगतना पड़ेगा।
नगर में चर्चा है कि नैक ग्रेडेशन में सी ग्रेड मिलने के पीछे विश्व विद्यालय का कुछ खास लोगों से लगाव तथा अन्य अनुभवी और योग्य व्यक्तियों की अपेक्षा करना माना जा रहा है। जिन लोगों को नैक मूल्यांकन के मद्देनजर अच्छा खासा अनुभव था उन्हें पॉलिटिक्स के चलते अलग कर दिया गया और अनुभवहीन लोगों को इसका प्रभार सौंप दिया गया, जिसका परिणाम सबके सामने है।
सूत्रों के हवाले से यह भी खबर आई है कि प्रशासनिक कुलसचिव नेक पियर टीम से तबीयत खराब होने का हवाला देते हुए नहीं मिले वहीं जब टीम ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक पदों की कुल स्वीकृत संख्या और वर्तमान में कार्यरत की संख्या की जानकारी चाहिए तो वह भी ठीक से नहीं बता पाए।
पूर्व कुलपति के कार्यकाल में 3.11 अंक के साथ प्रदेश में उच्च स्थान पर थे वहीं आज 1.79 सीजीपीए है, जो प्रदेश का सबसे न्यूनतम अंक माना जा रहा है। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है उनके द्वारा संगीत विश्वविद्यालय का एस एस आर देखा गया जिसमें नवाचार में बहुत ही काम अंक मिला है। इसी प्रकार बेस्ट प्रैक्टिस के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं का संगीत से तालमेल जुडऩा बताया गया जो पुराना आइडिया था, जिसे नया नाम दे दिया गया। विश्वविद्यालय में साप्ताहिक कार्यक्रम श्रुति मंडल कई वर्षों पहले से चल रहा है। विश्वविद्यालय के लिए अवलोकन के लिए पहुंचे नेक पियर टीम के द्वारा अच्छे नंबर दिए गए किंतु ऑनलाइन एसएसआर में विश्वविद्यालय फिसड्डी साबित हुआ। इसका कारण यह भी माना जा रहा है कि एसएसआर जमा करने के पूर्व विश्वविद्यालय के डीन, विभाग अध्यक्षों, शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारी के बीच इसकी समीक्षा नहीं की गई।
यह पूछे जाने पर की इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय अन्य विश्वविद्यालय से कैसे अलग है इसकी भी जानकारी नहीं दी जा सकी जबकि शासन के नवी कक्षा के किताब में विश्वविद्यालय पर एक पाठ है। जानकारों का मानना है कि विश्वविद्यालय के नैक मूल्यांकन में सी ग्रेड मिलने का बहुत गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यूजीसी से मिलने वाली ग्रांट में कमी तो आएगी ही साथ ही विद्यार्थियों की संख्या में भी कमी आ सकती है, क्योंकि विद्यार्थी अच्छे संस्थानों में अध्ययन करना चाहते हैं जिसका आधार नैक मूल्यांकन होता है इसके साथ ही साथ नगर केअर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ेगा। कुल मिलाकर नगर में चर्चा है कि विश्वविद्यालय में चल रहे पक्षपाती रवैया का नुकसान संस्था और नगर को उठाना पड़ सकता है।