खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 2 अप्रैल। इंदिरा कला संगीत विवि की वर्तमान कुलपति पद्श्री मोक्षदा (ममता) चंद्राकर की नियुक्ति नियम विरुद्ध की गई है। श्री यादव द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए सेनि शिक्षक बीआर यादव ने कुलपति की नियुक्ति को नियम का उल्लंघन बताया है।
छुईखदान टिकरीपारा निवासी बीआर यादव ने कहा कि संगीत विवि में कुलपति की नियुक्ति को लेकर राजभवन के पात्रता संबंधी नियमों को भी दरकिनार किया गया है। उन्होंने कहा कि यूजीसी और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार कुलपति की नियुक्ति के लिए विनिमय 2018 का पालन सभी विवि के लिए अनिवार्य है। राजभवन द्वारा जारी विज्ञापन अनुसार नियुक्ति के लिए दस सालो का प्रोफेसर के पद पर कार्य करने व अकादमिक अनुभव होना जरूरी है वहीं यूजीसी के विनिमय 2018 और विवि के अध्यादेश क्रमांक 171 अनुसार चयन को लेकर गठित समिति से अनुशंसित नामों में से ही कुलपति नामित किया जाता है।
बीआर यादव ने कहा कि मोक्षदा चंद्राकर की नियुक्ति में इन सभी नियमों व निर्देशों की अनदेखी की गई। ममता चंद्राकर ने कॉलेज या यूनिर्वसिटी में नियमित नौकरी नहीं किया है। पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी से प्राप्त पुरस्कार या सम्मान को प्रोफेसरशिप के समकक्ष नहीं माना गया है। संविधान के आर्टिकल 254 अनुसार राजकीय नियम और केंद्रीय नियमों के बीच विरोधाभास की स्थिति निर्मित होने पर केंद्रीय नियमों को सर्वोपरि माना गया है और यूजीसी के विनिमय 2018 अनुसार कुलपति पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति के पास दस सालों का प्राध्यापक या प्रोफेसरशिप का अनिवार्य अनुभव होना दोनों सदनों से पारित नियम है। बीआर यादव ने कहा कि ममता चंद्राकर की नियुक्ति राजभवन के आदेश के माध्यम से विवि अधिनियम 2019 के निहित कुलाधिपति के स्वेच्छाधिकार से किया गया है जबकि सुप्रीम कोर्ट के रिट पिटीशन में पारित निर्णय अनुसार राजकीय अधिनियम का उक्त प्रावधान लागू नहीं होता।
प्रोफेसर शिप में 23 दिन कम होने पर कुलपति को हटाया गया
प्रेस वार्ता में श्री यादव ने यह भी बताया कि अटल बिहारी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति प्रो सदानंद शाही को राजभवन द्वारा प्रोफेसरशिप के दस सालों के कार्यानुभव में महज 23 दिनों की कमी होने के करण हटा दिया गया था।
नियमानुसार कार्यकाल पूर्ण
उन्होंने कहा कि ममता चंद्राकर की नियुक्ति विवि अधिनियम 2019 में निहित प्रावधान अनुसार 65 साल की आयु पूरी होने अथवा पांच साल का कार्यकाल पूरा होने तक हुई है। 2 दिसंबर 23 को ममता चंद्राकर 65 वर्ष की हो गई है इसके बावजूद कुलपति बनी हुई है। उन्होंने बताया कि तत्संबंध में आयु सीमा बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव पर राजभवन द्वारा कोई भी ओदश जारी नहीं किया गया है। बीआर यादव ने कहा कि ममता चंद्राकर का उम्र सीमा 2 दिसंबर 23 को पूरी करने के बाद एक दिन भी कुलपति के पद पर आसीन रहना किसी भी स्थिति में संवैधानिक या नैतिक रूप से सही नहीं है। अनिवार्य योग्यता नहीं रखने के कारण अविलंब उन्हें पद से हटाकर विवि के किसी वरिष्ठ प्राध्यापक को प्रभारी कुलपति नियुक्त कर नवीन कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
प्रमाणित दस्तावेज लेकर जाएंगे हाईकोर्ट
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेनि शिक्षक बीआर यादव ने बताया कि कुलपति की नियुक्ति संबंधी दस्तावेजों को प्राप्त करने उन्हें राजभवन तक दौड़ लगानी पड़ी। जनवरी में उनके आवेदन पर संगीत विवि ने कोई जवाब नहीं दिया जिसके बाद उन्होंने राजभवन का दरवाजा खटखटाया जिसके बाद उन्हें 28 मार्च को आरटीई से मांगी गई जानकारी मिल पाई। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों से स्पष्ट पता चलता है कि ममता चंद्राकर की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पारित निर्णय, यूजीसी के अधिनियमों और संगीत विवि के अध्यादेशों की अनदेखी की गई है। ममता चंद्राकर पर मामले को अन्य माध्यम से भटकाने का आरोप लगाते हुए बीआर यादव ने कहा कि राजभवन में साक्ष्य प्रस्तुत कर शिकायत बाद, कलेक्टर को पूरी जानकारी दी जाएगी। उसके बाद हाईकोर्ट में मामला पेश किया जाएगा।