खैरागढ़-छुईखदान-गंडई

धान का पैरा न जलाये, गौठान में पैरादान करने की प्रशासन ने की अपील
24-Nov-2023 8:31 PM
धान का पैरा न जलाये, गौठान में पैरादान करने की प्रशासन ने की अपील

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

खैरागढ़, 24 नवंबर। खेतों में पैरा जलाने से रोकने जिला प्रशासन ने अभियान शुरू करते किसानों से पैरा जलाने की बजाय इसे गौठान में दान करने की अपील की है। कलेक्टर गोपाल वर्मा ने जिले के किसानों से पर्यावरण सुरक्षा और गौवंश के चारे की व्यवस्था के उद्देश्य से खेतों में धान पराली न जलाने और गौठान में पैरादान करने की अपील की है। कलेक्टर ने इस संबंध में उपसंचालक कृषि को किसानों में पैराली जागरूकता प्रचार-प्रसार हेतु निर्देश दिए।

कलेक्टर गोपाल वर्मा ने उपसंचालक कृषि को निर्देशित करते हुए जिले के किसान भाइयों से अपील की है कि खेतों में धान की पराली को न जलाये और गौवंश के चारे की व्यवस्था के लिए गौठान में पैरादान करें। ऐसा करने से पर्यावरण स्वच्छ रहेगा और गांवों के गौठान में वर्षभर पशुओं के लिए चारा आपूर्ति हो सकेगी।

इस संबंध में उपसंचालक कृषि राजकुमार सोलंकी ने जानकारी देते हुए बताया कि धान फसल की कटाई अंतिम चरण में है, जिन क्षेत्रों में धान के बाद रबी फसल लिया जाता है वहाँ किसान भाई धान कटाई के बाद खेत में पड़े पराली को जला देते है। इसके संबंध में किसानों को भ्रम है कि पराली जलाने के बाद अब शेष (राख) से खेत को खाद मिलेगा तथा खेत साफ हो जायेगी, परन्तु यह सोचना गलत है, क्योंकि पराली जलाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता तथा लाभदायक कीट भी खत्म हो जाती है। साथ ही वायु प्रदूषण का कारण बनती है। इससे मनुष्य, गौवंश, पशु-पक्षी सभी को विभिन्न प्रकार की बीमारियों होती है। इसका ज्वलंत उदाहरण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे शहरो में गंभीर समस्या देखने को मिल रहा है।

केसीजी के उपसंचालक कृषि ने बताया कि धान पराली जलाने से वायु प्रदूषित होने से आँखो में जलन एवं सांस संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। पराली जलाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता लगातार घट रही है। इस कारण भूमि में 80 प्रतिशत तक नाईट्रोजन, सल्फर एवं 20 प्रतिशत अन्य पोशक तत्व की कमी आ रही है। फसल के मित्र कीट की मृत्यू होने से नई-नई बीमारियाँ उत्पन्न होती है। एक टन धान पराली जले से 5.5 कि.ग्रा. नाईट्रोजन, 2 कि.ग्रा. फास्फोरस और 1.2 कि.ग्रा. सल्फर जैसे पोशक तत्व नष्ट हो जाते है।

इस संबंध में आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा वायु (प्रदुशण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 19 (5) के अंतर्गत फसल अपशिष्ट को जलाया जाना प्रतिबंधित किया गया है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के तहत खेती में कृषि अवशेषों को जलाये जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है जिसके तहत पराली जलाने वाले व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई की जावेगी। आर्थिक दंड के रूप में 2 एकड़ से कम खेत पर 25 सौ रूपये, 2 से 5 एकड़ खेत पर 5 हजार रूपये तथा 5 एकड़ से अधिक पर 15 हजार रूपयें जुर्माना लगाया जाएगा। पराली का निर्मित गौठान में दान से जिले में सुराजी गांव योजना के तहत गौठान निर्मित किये गये है, जिसमें धान पराली का दान करें, ताकि गौठान में वर्षभर पशुओं के लिए चारा आपूर्ति बनी रहें। पैरादान करने के लिए संबंधित गौठान समिति के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क कर सकते है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news