दुर्ग

दुर्ग ग्रामीण सीट से रमन और मोदी को ललकारने वाले ताम्रध्वज का सपना हुआ चूर
06-Dec-2023 7:27 PM
दुर्ग ग्रामीण सीट से रमन और मोदी को ललकारने वाले ताम्रध्वज का सपना हुआ चूर

40 साल की राजनीति में सरपंच से गृहमंत्री बने साहू समाज के मुखिया साढ़े 16 हजार मतों से हारे

धमधा-बेमेतरा की सामाजिक पकड़ भी काम नहीं आई वहां भी कांग्रेसी हारे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

भिलाई नगर, 6 दिसंबर। ‘रमन क्या मोदी भी मेरी सीट से चुनाव लड़े तो हार जाएँ’...चुनावी सभा में ऐसी ललकार लगाने वाले गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के मुख्यमंत्री बनने के ख्वाब पर भाजपा के ललित चंद्राकर ने ऐसा पानी डाला कि अब पूरी विधानसभा में ताम्रध्वज की ललकार का वीडियो सोशल प्लेटफार्म पर तैरता ट्रेंड हो रहा है।

ज्ञात हो कि कांग्रेस सरकार में पांच साल पहले मुख्यमंत्री बनने बनते चूक गए ताम्रध्वज साहू के पास सूबे का गृह, लोकनिर्माण, जेल, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व जैसा मंत्रालय था जरूर लेकिन उनकी शक्तियों का रिमोट पूरे पांच साल उन्हें नहीं मिला नतीजतन ताम्रध्वज पांच साल तक दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के लिए धीरे-धीरे निष्क्रिय से नजर आने लगे। उनके आस-पास के समर्थक जिस चश्मे से उन्हें अपनी विधानसभा का दर्शन करवाते ठीक वैसा ही ताम्रध्वज देखते और समझते भी रहे। भिलाई निगम से तोड़ कर अपनी जिद से उन्होंने रिसाली निगम बनवाया और चुनाव में जैसे तैसे कांग्रेस महापौर बनाने बहुमत भी जुटा लिया मगर निगम में जिस तरह का काम हुआ उसमें लोगों को विकास कम भ्रष्टाचार ज्यादा दिखता रहा।

गृह मंत्री रहते हुए खुद ताम्रध्वज दबी जुबान यह भी कहते रहे कि एक सिपाही तक का ट्रांसफर वो अपनी मर्जी से नहीं कर पाते हैं। नतीजतन कभी सीएम बनते बनते चूक गए ताम्रध्वज की छवि उनकी विधानसभा में शक्तिविहीन विधायक के रूप में होती रही और जब विकास के नाम पर मनमाने और स्तरहीन काम होने लगे तो धीरे धीरे आक्रोश भी देखा जाने लगा। इस बार विधानसभा चुनाव में ताम्रध्वज को घेरने 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, लेकिन भाजपा के नए चेहरे ललित चंद्राकर ने अकेले 52 फीसदी मत जुटाते हुए ताम्रध्वज को 16 हजार 642 मतों के अंतर से पटखनी दी।

ताम्रध्वज इस विधानसभा चुनाव में 20 से ज्यादा कांग्रेसी पार्षदों के सपोर्ट और पूरे जोर शोर से प्रचार प्रसार करने के बाद भी केवल 42 फीसदी मत जुटा सके। उन्हें 70 हजार 533 वोट, ललित चंद्राकर भाजपा को 87 हजार 175, निर्दलीय संजीत विश्वकर्मा को 1510, ईश्वर निषाद 1466, विमला ठाकुर 990, ढलेश साहू 407, कामेश्वर साहू 749, कमलेश यादव 132, राधेश्याम सोरी 180, गिरेंद्र खांडे 139, द्वारिका बारले को 263, नारदराम साहू 762 और मनोज गायकवाड़ को 297 वोट मिले हैं।

गौरतलब हो कि 1988 से कांग्रेस की राजनीति में आए ताम्रध्वज सरपंच और तत्कालीन मध्यप्रदेश में वर्ष 1998 में पहली बार विधायक बने। वो 2003, 2008, 2018 में विधायक और 2014 में सांसद भी रहे। 2018 में उनका नाम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कंडीडेट के रूप जमकर उछला, लेकिन प्रबल दावेदारी के बावजूद उन्हें गृह मंत्रालय दिया गया।

कांग्रेस सरकार में अहम मंत्रालय होने के बाद भी ताम्रध्वज दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के लिए ऐसा काम नहीं कर सके, जिसकी बदौलत 2023 के चुनाव में जनता उन्हें चुन पाती। नतीजतन लोगों ने भाजपा के ललित पर भरोसा जताया है। ताम्रध्वज चूंकि साहू समाज का भी लंबे समय से प्रतिनिधित्व करते रहे हैं और दुर्ग के आलावा धमधा, बेमेतरा में भी उनकी खासी राजनीतिक पैठ होने के बावजूद उन सीटों पर भी कांग्रेस के लिए ताम्रध्वज का प्रभाव बेअसर ही साबित हुआ।

2003 में उन्होंने धमधा से भाजपा के जागेश्वर साहू और 2008 में बेमेतरा से भाजपा के अवधेश चंदेल को हराया था। 2014 में दुर्ग लोकसभा से उन्होंने भाजपा नेत्री सरोज पांडेय को पराजित किया था। लेकिन 2018 से गृहमंत्री रहे यही ताम्रध्वज साहू अपनी पुरानी सीट दुर्ग (ग्रामीण) को नहीं बचा सके।

अचंभित परिणाम में चुनाव हारने  के बाद उनके द्वारा चुनावी सभा में रमन और मोदी को ललकारने वाला विडियो लोग जमकर फारवर्ड करते हुए मीम भी बना रहे हैं।

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