खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़ /राजनांदगांव, 20 जनवरी। खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की छात्रा श्रेया करकरे आखिरकार जिंदगी और मौत की जंग में हार गई। पांच दिन पहले दो आवारा सांडों की आपसी लड़ाई में घायल हुई श्रेया ने भिलाई के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। उसकी मौत की खबर से संगीत नगरी में जहां शोक का माहौल है, वहीं भोपाल की रहने वाली श्रेया की इस दुनिया में नहीं होने की खबर से परिवार सदमे में है।
मिली जानकारी के अनुसार श्रेया करकरे विश्वविद्यालय में कत्थक नृत्य में एमए की छात्रा की थीं और सिविल लाईन इलाके में किराये के मकान में रहकर अपना तालीम पूरा कर रही थी।
14 जनवरी को क्लास छूटने के बाद वह अपनी सहेलियों के साथ इतवारी बाजार स्थित सब्जी खरीदने के लिए पहुंचीं। इस दौरान आपस में दो आवारा सांड भिड़ गए। देखते ही देखते दोनों की लड़ाई के बीच श्रेया फंस गई और वह बुरी तरह से जख्मी हो गई। सहेलियों ने घायल हालत में श्रेया को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसे भिलाई रिफर किया गया। परिजनों की अनुपस्थिति में सहपाठियों और अन्य लोगों ने आर्थिक व्यवस्था कर श्रेया का उपचार कराया।
डॉक्टरों के मुताबिक उसके सिर में गंभीर चोंट पहुंची थी। ऑपरेशन होने के बावजूद वह कोमा में चली गई। पांच दिन तक लगातार वह मौत से जूझती रहीं, लेकिन उसकी जान बच नहीं सकी।
बताया जा रहा है कि सहपाठी उनका अंतिम संस्कार करना चाहते थे, लेकिन परिजनों ने भिलाई में अंतिम संस्कार कर दिया।
इधर, श्रेया की मौत के लिए प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यानी की सडक़ में पुख्ता बंदोबस्त नहीं होने के कारण आए दिन मवेशियों की वजह से घटनाएं हो रही है। प्रशासन इसके बचाव के लिए ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि मवेशियों को कांजी हाउस में रखने में प्रशासन नाकाम रहा है। यदि व्यवस्था बेहतर होती तो आज छात्रा जीवित होती।