खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 20 जनवरी। खुद के प्लांट को वैध बनाने की कवायद में लोग दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के अध्यापकों कर्मचारियों द्वारा वर्ष 1990 में सामूहिक रूप से जमीन क्रय कर 30 सदस्यों में आबंटित किया गया था जो पूर्णत: कर्मियों द्वारा थोड़ा-थोड़ा राशि कर इक_ा कर लिया गया था।
बताया जाता है कि विश्वविद्यालय में कार्यरत अध्यापकों कर्मचारियों द्वारा 2 एकड़ 31 डिसमिल भाटा जमीन पिपरिया में क्रय किया गया था जो विश्वविद्यालय आवास समिति के नाम से जाना जाता है। यह स्वयं के मकान निर्मित हेतु खरीदा गया था यह कोई कमर्शियल नहीं था। यह भी जानकारी दी गई कि उक्त भूमि का डायवर्सन एवं नक्शा पास है कुछ वर्ष पूर्व विधिवत इसका सीमांकन भी किया गया है।
अधिकारियों द्वारा आनन फानन में बिना जांच किए सबको अवैध प्लाटिंग की सूची में डाल दिया गया। इसके कारण विश्वविद्यालय के कर्मियों के प्लाट को भी इस चपेट में ले लिया गया । अब घर बनाने अनुमति, नामांतरण, हेतु सदस्य दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं इन हितग्राहियों को उम्मीद था कि सत्ता परिवर्तन के बाद उनके साथ न्याय होगा लेकिन अधिकारियों आज भी विधानसभा प्रश्न का हवाला देते हुए इसके निराकरण की दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रहे हैं।
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व खैरागढ़ का कहना है कि अवैध प्लाटिंग के मामले में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाया है जो भी दिशा निर्देश मिलेगा उस हिसाब से कार्य होगा।