बेमेतरा
सीढ़ी चढऩा गर्भवतियों की बन गई मजबूरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 14 मार्च। मदर चाइल्ड हॉस्पिटल में 25 लाख लागत से लगा लिफ्ट शोपीस साबित हो रहा है। आलम यह है कि लिफ्ट लगने के बाद से मरीजो की सुविधा के लिए एक बार भी उपयोग नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि हॉस्पिटल बिल्डिंग का निर्माण करीब 15 करोड़ रुपए की लागत से हुआ है, वही सीजीएमएससी अंतर्गत 25 लाख की लागत से लिफ्ट लगाई गई है।
निर्माण एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन सिविल सर्जन को ट्रायल रन दिखाकर लिफ्ट हैंडओवर की थी। इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन व निर्माण एजेंसी के अधिकारियों के बयान में विरोधाभास है। सुरक्षित प्रसव को लेकर सरकारों की ओर से बड़े पैमाने पर फंड मुहैया कराया जाता है, बावजूद लिफ्ट की सुविधा शुरू करने को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है ।
लिफ्ट में तकनीकी खराबी,
विभाग ने लिखा खत
अस्पताल प्रबंधन के अनुसार मदर चाइल्ड हॉस्पिटल में लगे लिफ्ट का हैंडओवर नियमानुसार नहीं किया गया है। लिफ्ट का एक बार भी उपयोग हुए बिना तकनीकी खराबी आना बताया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से तकनीकी खराबी को सुधारने को लेकर निर्माण एजेंसी सीजीएमएससी के कार्यपालन अभियंता को पत्र लिखा गया था।
5 साल बाद भी लिफ्ट का उपयोग शुरू नहीं, गर्भवती महिलाएं परेशान
मदर चाइल्ड हॉस्पिटल में लगी लिफ्ट को तत्कालीन सिविल सर्जन को हैंडओवर किए करीब 5 साल से अधिक समय बीत चुका हैं, बावजूद अब तक लिफ्ट का उपयोग शुरू नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में गर्भवती महिलाओं को सीढ़ी से चढक़र वार्ड तक जाना पड़ रहा है। महिलाओं की परेशानी का अस्पताल प्रबंधन सुध लेने को तैयार नहीं है। नतीजतन 5 साल बाद भी लिफ्ट शुरू नहीं हो पाई है । लिफ्ट की सुविधा नहीं मिलने से मरीज व उनके परिजनों को में खासी नाराजगी है। परिजनों के अनुसार सरकार की ओर से स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का हर प्रयास किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की अकर्मण्यता का परिणाम आम जनों को भुगतना पड़ रहा है ।
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण आई खराबी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण अब तक लिफ्ट का उपयोग शुरू नहीं हो पाया है, क्योंकि लिफ्ट के हैंडओवर करने के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर इसका उपयोग नहीं किया गया। जबकि उपयोग नहीं होने की स्थिति में भी हर 15 दिन में लिफ्ट को रन करना जरूरी है, ताकि लिफ्ट मशीन में किसी तरह की खराबी ना आए। लंबे समय से उपयोग नहीं करने के कारण लिफ्ट मशीन में खराबी आई है ।
मेंटेनेंस पर आएगा एक लाख
खर्च, फंड मिलने पर मरम्मत
निर्माण एजेंसी के एसडीओ इरशाद खान के अनुसार लिफ्ट का हर 6 महीने में मेंटेनेंस की जरूरत होती है। लिफ्ट कंपनी की ओर से अस्पताल में लिफ्ट लगाने के बाद 2 साल तक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी थी। संबंधित कंपनी की ओर से 2 साल तक लिफ्ट का मेंटेनेंस किया गया। जिसकी सारी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी गई। वहीं अस्पताल प्रबंधन को लिफ्ट की मेंटेनेंस के लिए कंपनी से अनुबंध करने कहा गया था, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। जिसका परिणाम है कि वर्तमान में लिफ्ट की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है। लिफ्ट की तकनीकी खराबी की सुधार में करीब एक लाख रुपए खर्च आएगा इसकी जानकारी लिखित में अस्पताल प्रबंधन को दी गई है।
सॉफ्टवेयर में खराबी, दिल्ली के इंजीनियर करेंगे सुधार
लगातार प्रयासों के बावजूद लिफ्ट का उपयोग शुरू नहीं हो पा रहा है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार माह भर पूर्व लिफ्ट का उपयोग शुरू हुआ था। एक या दो दिन लिफ्ट के उपयोग के बाद फिर से खराबी आ गई। है। जिसकी मरम्मत के लिए कंपनी को सूचना दी गई। निर्माण एजेंसी के इंजीनियरों ने जांच में सॉफ्टवेयर में खराबी पाई है। जिसकी मरम्मत दिल्ली के इंजीनियर के द्वारा किए जाने की बात कही गई है। जिस पर करीब 1 लाख रुपए खर्च आएगा।