दुर्ग

समाधान नहीं मिलने से बच्चों के अंदर विरोध के स्वर जागृत होते हैं-ऋषभ सागर
16-Mar-2024 4:05 PM
समाधान नहीं मिलने से बच्चों के अंदर विरोध के स्वर जागृत होते हैं-ऋषभ सागर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

दुर्ग, 16 मार्च। दूसरों का दुख आपके लिए भले ही छोटा होता है उनके साथ जुडऩे मात्र से उनका दुख कम हो जाता है। किसी अपनों की बातों सुनना बहुत मायने रखता है। बच्चों को समाधान मिलने से ही वह राह भटक जाते हैं ओर विरोध के स्वर जागृत होने लगते हैं। जहां प्रेम होता हो वहां समाधान के रास्ते हमेशा खुले रहते हैं। अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग व्याख्या करते हुए।

उक्त उगगार नवकार भवन में आयोजित पालकों की धर्म सभा को संबोधित करते हुए जैन संत ऋषभ सागर जी ने व्यक्त की।नवकार भवन स्थित धर्म सभा को संबोधित करते हुए जैन धर्म गुरु ऋषभ सागर जी ने कहा हमेशा छोटे बने रहने में ही जीवन का अलग आनंद है। आदमी जब बड़ा होता है तब पारिवारिक सामाजिक व्यापारिक राजनीतिक सभी प्रकार के के भार को सहना ओर समझना पड़ता है।

उन्होंने कहा प्रेम में हमेशा समाधान छुपा होता है। बस आवश्यकता है सोच और समझ के साथ उसे परिणाम में परिवर्तित करने की संत ने आगे कहा आज बच्चे सिर्फ और सिर्फ कल्पना में जी रहे हैं. अपने का अपने जीवन का लक्ष्य नहीं समझ पा रहे हैं, सही मार्गदर्शन के अभाव में युवा आज राह भटकते जा रहा है।

जब जीवन के अंदर सो आती है तभी परिवर्तन प्रारंभ होने के गुण लग जाते हैं, अपने बच्चों को हमें समझ देनी है, जो उन्हें सही रास्ते में जाने का मार्ग प्रशस्त करती है। संत ने कहा बच्चों को वक्त से पहले बड़ा मत कीजिए वस्तु की उपयोगिता हमें उन्हें सीखानी चाहिए।

बच्चे बड़ों को देख कर और सुन कर ही सीखते है, बड़ों को अपना आचरण वैसा रखना चाहिए जैसा वो अपने बच्चे से चाहते है। परिवार का माहौल ऐसा बनाए, की घर का हर सदस्य एक-दूसरे से इतना फ्री हो जाए को अपने मन की बात को बता सके, ताकि बाहर वाला कोई उन्हें भडक़ा या भटका न सके।

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