बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 21 मार्च। नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत मुर्रा की पूर्व सरपंच व वर्तमान जिला पंचायत सदस्य सुशीला जोशी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने वाले एसडीएम को हाईकोर्ट ने दूसरी बार गलती की पुनरावृति न करने की चेतावनी देते हुए विभाग को जांच का आदेश दिया है।
ज्ञात हो कि पूर्व विधायक गुरुदयाल सिंह बंजारे को क्षेत्र में दौरे के दौरान ग्राम पंचायत मुर्रा, अकोली, झाल एवं टेमरी ग्राम पंचायत के लोगों ने शिकायत की। इस शिकायत पर बंजारे ने एसडीएम को जांच के लिए कहा। इस जांच के बाद मुर्रा पंचायत की पूर्व सरपंच सुशीला जोशी को 13 मई 2020 को एसडीएम ने कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके बाद पंचायती राज अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू हुई। जोशी पेशी तिथि में आती रहीं। कई बार अन्य कार्यों के चलते अधिकारी की अनुपस्थिति से पेशी को विभाग अगली तिथि के लिए बढ़ाता रहा। 10 जनवरी को पेशी तिथि में अधिकारी के मुख्यालय से बाहर होने के कारण 7 फरवरी कर दिया गया। इस बीच 31 जनवरी को तत्कालीन एसडीएम ने जोशी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। इससे क्षुब्ध होकर जोशी हाईकोर्ट की शरण में गईं। 14 फरवरी को कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए एसडीएम के आदेश पर रोक लगा दी।
तत्कालीन एसडीएम के सभी आदेश किए निरस्त
14 मार्च को इस मामले की सुनवाई हुई। जोशी के वकील प्रतीक शर्मा ने बताया कि जज राकेश मोहन पांडेय के समक्ष एसडीएम नवागढ़ ने बताया कि उन्होंने कि हाल में ही नवागढ़ ज्वाइन किया है। पूर्व सरपंच मुर्रा के खिलाफ कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं है। पूरे मामले में जज ने तत्कालीन एसडीएम के सभी आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर यह चेतावनी दी कि भविष्य में इसकी पुनरावृति न हो तथा राज्य सरकार को विभागीय जांच चलाने का आदेश दिया। वकील शर्मा ने बताया कि ऐसी कोई प्रमाणित शिकायत तत्कालीन विधायक ने नहीं की थी, जिस पर एसडीएम ने ऐसा कुछ कर दिया।
गिरफ्तारी वारंट जारी करने के पूर्व उसकी आवश्यकता पर विचार नहीं किया, जिस प्रभाव से यह जारी किया गया। यह सर्वथा अनुचित है।