राजनांदगांव
संसदीय इतिहास में सर्वाधिक 4 खैरागढ़ से और 3 बार कवर्धा को मिली सांसदी
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 3 अप्रैल ( ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास हमेशा से ही राजनीतिक रूप से सबका ध्यान खींचने से रोचक रहा है। लगभग 300 किमी वाले इस संसदीय क्षेत्र में लोकसभा के मुख्यालय राजनांदगांव शहर से भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक शर्मा और मधुसूदन यादव के नाम सांसद निर्वाचित होने का रिकॉर्ड दर्ज है।
खैरागढ़ राजपरिवार का लोकसभा में खासा दबदबा रहा है। इसके बाद कवर्धा से सांसद निर्वाचित होने का सिलसिला शुरू हुआ। साल 1996 में राजनांदगांव से अशोक शर्मा पहली बार सांसद निर्वाचित होकर दिल्ली की ओर बढ़े। वहीं साल 2009 में हुए आम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे मधुसूदन यादव ने खैरागढ़ राजपरिवार के धाकड़ नेता दिवंगत देवव्रत सिंह को एक लाख 19 हजार मतों से शिकस्त देकर ऐतिहासिक जीत हासिल की।
यह पहला मौका था, जब राजनंादगांव मुख्यालय से किसी चेहरे ने सांसद चुनने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। इससे पहले 1957 से साल 2019 के मध्य हुए लोकसभा चुनाव में खैरागढ़ रियासत के राजाओं ने संसद में क्षेत्र का नेतृत्व किया। चार दफा खैरागढ़ महल से सांसद निर्वाचित हुए। जिसमें राजा बिरेन्द्र बहादुर सिंह, पद्मावती देवी, शिवेन्द्र बहादुर सिंह और देवव्रत सिंह सांसद के तौर पर दिल्ली पहुंचे। शिवेन्द्र बहादुर दो बार सांसद चुने जाने वाले पहले व्यक्ति हैं। इसके बाद खैरागढ़ की राजनीतिक पकड़ कमजोर होती चली गई। साल 1999 में पहली बार कवर्धा क्षेत्र से रमन सिंह के तौर पर लोकसभा को सांसद मिला। डॉ. रमन सिंह ने दिग्गज कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा को 23 हजार मतों से मात दी थी। इसके बाद साल 2014 में रमन सिंह के सुपुत्र अभिषेक सिंह और 2019 के आम चुनाव में संतोष पांडे कवर्धा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए। 2004 के लोकसभा में प्रदीप गांधी सांसद निर्वाचित हुए। वहीं 2009 में मधुसूदन यादव राजनांदगांव शहर से पहले सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र के इतिहास में डोंगरगांव क्षेत्र से प्रदीप गांधी सांसद चुने गए। अब तक इस क्षेत्र से कोई भी सांसद नहीं चुना गया। मधुसूदन यादव के बाद राजनांदगांव शहर को किसी भी राजनीतिक दल ने सांसद के लिए चुनाव मैदान में नहीं उतारा। पिछले एक दशक से कवर्धा क्षेत्र से ही सांसद चुने जा रहे हैं।