बलरामपुर
![तीन दिनी ज्ञानोत्सव कार्यक्रम की समापन, 13 का सम्मान तीन दिनी ज्ञानोत्सव कार्यक्रम की समापन, 13 का सम्मान](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1718034276-0023.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रामानुजगंज,10 जून। रामानुजगंज ज्ञान यज्ञ परिवार के द्वारा स्थानीय लरंगसाय कम्युनिटी हाल में तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव कार्यक्रम मौलिक विचारक समाज विज्ञानी बजरंग मुनि के सानिध्य में आयोजित किया गया,जिसमें पूरे देश से जाने-माने विद्वान सम्मिलित हुए।
तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव कार्यक्रम का समापन के अवसर पर बजरंग मुनि के द्वारा पूरे देश से चयनित समाज विज्ञानी, समाजशास्त्री, सामाजिक चिंतक 13 लोगों को प्रशस्ति पत्र शील्ड एवं नगद राशि देकर पुरस्कृत किया गया।
गौरतलब है कि नगर में आयोजित होने वाले ज्ञानोत्सव कार्यक्रम के लिए कई दिन पूर्व से ज्ञान यज्ञ परिवार के द्वारा व्यापक स्तर में तैयारियां प्रारंभ कर दी गई थी।
आयोजन के पहले दिन से ही पूरे देश के विभिन्न राज्यों से विद्वान पहुंच गए थे। बजरंग मुनि की ज्ञान कथा प्रतिदिन आयोजित हुई, वहीं कार्यक्रम की शुरुआत सुबह सामूहिक यज्ञ और विचार मंथन से होती थी। प्रतिदिन भजन कीर्तन स्थानीय एवं आगंतुक को कलाकारों के द्वारा प्रस्तुति दी जा रही थी।
प्रतिदिन शाम को देश के जाने-माने राष्ट्रीय कथा वाचक सुनील देव शास्त्री के मुखारविंद से भागवत कथा कही गई। योगाचार्य साध्वी प्रज्ञा साधना के द्वारा भी प्रवचन किया गया। ज्ञानोत्सव कार्यक्रम की देशभर से आई विद्वानों एवं स्थानीय लोगों के द्वारा जमकर सराहना की गई।
इन्हें किया गया सम्मानित
समाज विज्ञानी के रूप में बृजेश राय, समाजशास्त्री नरेंद्र सिंह, राकेश कुमार शर्मा सुनील देव शास्त्री, रामवीर श्रेष्ठ संजय ताती वहीं सामाजिक चिंतक के रूप में राजेश प्रजापति, माता प्रसाद कौरव, श्रीकांत सिंह नीति आर्य सुधीर सिंह को सम्मानित किया गया वही समाज सेवा के क्षेत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता अभ्युदय द्विवेदी को सम्मानित किया गया कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साम्यादि विचारक प्रेमनाथ गुप्ता को भी सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप सभी को प्रशस्ति पत्र शील्ड एवं नगद राशि प्रदान की गई।
पुस्तक का विमोचन, मिली प्रशंसा
कार्यक्रम के दौरान मार्गदर्शक सूत्र संहिता पुस्तक का विमोचन हुआ। जिसे 1 वर्ष में लिखा गया था। मार्गदर्शक सूत्र संहिता पुस्तक का देश भर से आए विद्वानों के द्वारा सराहना की गई। पुस्तक को 10 विद्वान मिलकर मुनि जी की कहे बातों को लिखे हंै।