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32 सूत्रीय मांगों को लेकर तीसरे दिन भी हड़ताल पर रहे पटवारी
10-Jul-2024 2:26 PM
32 सूत्रीय मांगों को लेकर तीसरे  दिन भी हड़ताल पर रहे पटवारी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 10 जुलाई।
ऑनलाइन एप भुइयां में गड़बड़ी, संसाधनों की कमी समेत 32 सूत्रीय मांगों को लेकर बुधवार को तीसरे दिन भी पटवारी हड़ताल पर रहे। हड़ताल की वजह से राजस्व विभाग के सभी काम ठप पड़े हुए हैं। राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष ने 5 जुलाई को मुख्यमंत्री के नाम पत्र जारी कर अपनी 32 सूत्रीय मांगें रखी थीं तथा 2 दिनों के भीतर समाधान करने की मांग की गई थी। मांग पूरा नहीं होने पर राजस्व पटवारी संघ द्वारा 8 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी गई थी।

जिन 32 सूत्रीय मांगों को लेकर पटवारियों के द्वारा हड़ताल शुरू की गई है उसमें प्रमुख रूप से जिले स्तर पर सहायक प्रोग्रामरों की पदस्थापना की जाये अभी छोटी-छोटी समस्या के लिये प्रोग्रामरों के निर्देशन की आवश्यकता पड़ती है एवं बार बार रायपुर बुलाया जाता है जो कि व्यवहारिक नहीं है। खाते में आधार, मोबाइल नंबरो की कम एंन्ट्री होने के कारण कार्यवाही की जा रही है जो कि अनुचित है। ऑनलाइन रजिस्ट्री होने के बाद नामांतरण हेतु पटवारी आइडी में आता है जिसमे क्रेता विक्रेता से संबंधित सभी जानकारी अंग्रेजी में दर्ज रहता है, जिसको हिन्दी में टाइप करना पड़ता है जिसके कारण कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लिपिकीय त्रुटि होना संभाव्य है। जिसके लिये पटवारियों को दोषी समझा जाता है, इस पर सुधार की जरुरत है। तात्कालीन समय में संबंधित पटवरियों द्वारा किसी एक पक्षकार की अनुपस्थिति में नक्शा बटांकन कर दिया जाता है अधिकारियों के अत्यधिक दबाव के कारण ऐसे नक्षों का बटांकन करने से भूमि स्वामियों का हित प्रभावित हो रहा है जिससे अनावष्यक विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। जिसमें पटवारियों को दोषी ठहराया जा रहा है। भुइयां पोर्टल में फौती नामांतरण के अभिलेख दुरूस्ती करने पर फौत व्यक्ति के वारिसानों का नाम दर्ज होता है, लेकिन अन्य शामिल खातेदारों का नाम संबंधित खाते से विलोपित हो जाता है जिससे त्रुटि सुधार का धारा 115 में प्रकरण दर्ज करवाना पड़ता है जो त्रुटि सुधार में पेंडेंसी का बहुत बड़ा कारण होता है। इसके अलावे रजिस्ट्री नामांतरण हेतु जो प्रकरण पटवारी आइडी में उपलब्ध होते हैं उसमें नाम, पिता का नाम दर्ज करने का विकल्प दुबारा नहीं रहता है। 

विकल्प न होने के कारण अगर किसी नामांतरण में मानवीय भूलवश कोई लिपकीय त्रुटि होती है तो उसके सुधार की कोई गुंजाइश न होने से धारा 115 में त्रुटि सुधार का एक और प्रकरण दर्ज करवाना पड़ता है जिससे हितग्राही परेशान होता है जिसका सारा दोषारोपण पटवारियों पर थोपा जाता है। जबकि इसमें सुधार कर कम से कम एक बार लिपकीय सुधार करने का विकल्प पटवारी आइडी में दिया जाना चाहिए। भुइयां साफ्टवेयर में उपरोक्त विसंगतियों के कारण एक ओर जहां पटवारियों को कार्य करने में परेशानी हो रही हैं वहीं दूसरी ओर खाताधारकों, भूमि स्वामियों, कृषकों को भी अनावश्यक न्यायालयीन कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है। 

खाताधारकों (कृषकों) के हित में साफ्टवेयर में आवश्यक सुधार की मांग की है। भुइयां साफ्टवेयर में आवश्यक सुधार करते हुये जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदारी भी तय की जाये तथा दोषी पर कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाये। पटवारियों को प्रताडि़त करने के बजाये पटवारी का पद ही समाप्त कर दिया जाये आदि मांगें शामिल हैं।
 

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