राजनांदगांव

बदहाली पर आंसू बहा रहा नया बस स्टैंड
14-Jul-2024 2:59 PM
बदहाली पर आंसू बहा  रहा नया बस स्टैंड

हाईटेक बने स्टैंड पर मवेशियों का कब्जा, चेयर व बुनियादी सुविधाएं नदारद, यात्री परेशान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 14 जुलाई।
शहर का नया बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। करोड़ों रुपए फूंककर बनाए गए हाईटेक बनाए गए बस स्टैंड की स्थिति बेहद दयनीय है। आलम यह है कि इस स्टैंड पर मवेशियों का कब्जा है। वहीं रात को असामाजिक तत्वों ने असामायिक तौर पर स्टैंड पर कब्जा कर लिया है। रात में स्टैंड में आम लोगों का रहना खतरे से खाली नहीं है। आए दिन असामाजिक तत्वों की उत्पात से यात्रियों में दहशत का माहौल है। शहर के नवीन बस स्टैंड को हाईटेक बनाने के लिए 7 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं। रखरखाव की उचित बंदोबस्त नहीं होने के कारण स्टैंड के अंदर और बाहर का रूप बिगड़ गया है। 

बस स्टैंड को बेहतर रूप देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से तैयार किया गया था। मौजूदा समय में बस स्टैंड के यात्री परिसर की हालत काफी खस्ता है। बरसात के मौसम में मवेशियों ने परिसर पर अपना डेरा जमा लिया है। मवेशियों के मल-मूत्र के बदबू से यात्रियों को चंद मिनट भी रूकना असहनीय लग रहा है। यात्री प्रतिक्षालय की कुर्सियां टूटी हुई है। यात्रियों को सभी तरह की सुविधा मुहैया कराने के लिए चेयर, कैंटीन और उच्च तकनीक के डिस्प्ले लगाए गए थे। सभी जर्जर हालत में है। 

बसों की आवाजाही की जानकारी के लिए बनाया गया डिस्प्ले बोर्ड बंद पड़ा हुआ है। दूर-दराज से पहुंचने वाले यात्रियों को बसों की जानकारी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। यात्रियों के लिए शुद्ध पेयजल के लिए नल लगाए गए थे, जिसकी टोटियां भी गायब है। यात्रियों को स्वच्छ भोजन और चाय-नाश्ता मुहैया कराने के लिए कैंटीन का संचालन काम अभी अटका हुआ है। 

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने कार्यकाल में बस स्टैंड को सुसज्जित रूप देने के लिए 5 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम दी थी। शुरूआत में बस स्टैंड अपनी खूबसूरती के कारण यात्रियों को लुभाता रहा। समय के साथ ही अव्यवस्था के शिकार के कारण बस स्टैंड आकर्षक रूप बदसूरती में बदल गया है। स्थानीय बस स्टैंड से महाराष्ट्र के अलावा दुर्ग-भिलाई, कवर्धा और बालाघाट तक रोजाना 200 से ज्यादा बसों की आवाजाही होती है। लगभग सैकड़ों की संख्या में यात्रियों का यहां ठहरना और रूकना होता है। बुनियादी सुविधाओं के लिए यात्रियों को हमेशा बस स्टैंड में परेशानी उठानी पड़ती है। शुद्ध पेयजल की कमी से यात्रियों को पानी की बोतलें खरीदने के लिए जेबे ढ़ीली करनी पड़ती है। शौचालयों से उठ रहे गंध से यात्रियों को नाक सिकुडऩा पड़ रहा है। इस तरह हाईटेक बस स्टैंड पूरी तरह से अपनी बदहाली के दौर से गुजर रहा है। 
 

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